नई दिल्ली। राम मंदिर—बाबरी मस्जिद का मुद्दा अब देश की सरहदें पार कर विदेशों में पहुंच गया है। इस मुद्दे को लेकर इराक में शिया समुदाय के सर्वोच्च धर्मगुरू अयातुल्लाह अली अल—सिस्तानी ने फतवा जारी किया है। सिस्तानी ने फतवा जारी कर कहा कि वक्फ की संपत्ति पर मंदिर बनाने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। सिस्तानी का यह फतवा उत्तर प्रदेश के शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी द्वारा विवादित जमीन पर राम मंदिर निर्माण का समर्थन करने के बयानों के मद्देनजर आया है।
दरअसल, वसीम रिजवी अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर हिंदुओं का साथ दे रहे हैं। रिजवी ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक प्रस्ताव दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि वक्फ बोर्ड के पास जो जमीन है, वह राम मंदिर निर्माण के लिए दे सकते हैं। उनके इस प्रस्ताव के बाद कानपुर में शिया समुदाय के ताल्लुक रखने वालो मजहर अब्बास नकवी ने इस मामले में सिस्तानी से हस्तक्षेप करने की मांग की थी। उन्होंने सिस्तानी को एक मेल भेजकर मामले में फतवा जारी करने को कहा था। सिस्तानी ने अपने फतवे में कहा कि विवादित जमीन पर शिया शासक ने मस्जिद बनवाई थी, इसलिए इस जमीन पर वक्फ बोर्ड का हक है।
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शिया समुदाय के सर्वोच्च धर्मगुरू का फतवा जारी होने के बाद रिजवी ने कहा कि सिस्तानी शिया वक्फ बोर्ड पर इस मामले में मस्जिद निर्माण की बात करने वाले लोगों का साथ देने का दवाब डाल रहे हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि यह मसला भारत से जुड़ा है और शिया वक्फ बोर्ड भारतीय संविधान के अनुसार ही काम करेगा। रिजवी ने सिस्तानी का फतवा मानने से इनकार करते हुए कहा कि वह धर्मगुरू की सलाह मानने के लिए बाध्य नहीं है। उन्होंने कहा कि यह मसला हिंदुओं की आस्था से जुड़ा है और वक्फ बोर्ड किसी भी तरह से उनका हक नहीं छीनेगा, चाहे उन्हें पूरी कौम का विरोध ही क्यों न झेलना पड़े।
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