कोच्ची: केरल के राज्यपाल और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरिफ मोहम्मद ने रविवार (31 दिसंबर 2023) को दिल्ली के रंग भवन ऑडिटोरियम में "राम मंदिर राष्ट्र मंदिर एक साझी विरासत" नामक पुस्तक का विमोचन किया। इस कार्यक्रम में विश्व हिंदू परिषद (VHP) के अध्यक्ष आलोक कुमार और श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के कोषाध्यक्ष गोविंद गिरी महाराज और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।
कार्यक्रम में बोलते हुए केरल गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान ने आदि शंकराचार्य के उपदेशों और समाज के कल्याण और विश्व को एक परिवार बनाने के लिए उनके द्वारा किए गए कार्यों के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि, 'आज हर देश के पास इतने परमाणु बम हैं कि ये दुनिया को तबाह करने के लिए काफी हैं। यह दुनिया कई खंडों में बंटी हुई है और इसे एक ऐसे संदेश की जरूरत है जो इसे एकजुट कर सके।' इसके अलावा, उन्होंने भगवत गीता के बारे में भी बात की और कार्यक्रम में उपस्थित लोगों के साथ भगवान राम के उदाहरण साझा किए। आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि, 'भगवान राम हमारी आवश्यकता हैं, जिससे हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का चरित्र निर्माण कर सकते हैं।'
बता दें कि, सूफी इस्लाम के स्कॉलर माने जाने वाले आरिफ मोहम्मद खान, राजीव गांधी सरकार में सबसे युवा मंत्रियों में से एक थे। वे कांग्रेस के उभरते हुए नेता हुआ करते थे। लेकिन, जब शाह बानो मामले में राजीव गांधी सरकार ने संसद में सुप्रीम कोर्ट का फैसला बदलने का निर्णय लिया, तो इसे देश के कानून और इस्लाम के खिलाफ बताते हुए आरिफ खान ने अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। उसके बाद नरसिम्हा राव से लेकर कई दिग्गज कांग्रेस नेता उनसे इस्तीफा वापस लेने के लिए मनाने पहुंचे, लेकिन खान अपने उसूलों के पक्के थे। उनका मानना था कि, शाह बानो को गुजारा भत्ता मिलना चाहिए, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी मंजूरी दे दी थी और ये इस्लाम के मुताबिक भी सही था। किन्तु, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के दबाव में आकर राजीव गांधी सरकार ने संसद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया और इससे आहत होकर आरिफ मोहम्मद खान ने अपने चढ़ते सियासी करियर के बीच ही केंद्रीय मंत्री के पद को त्याग दिया।
25 दिन तक नाबालिग लड़की का बलात्कार करता रहा मौसा, पुलिस ने गुजरात से किया गिरफ्तार