राम का नाम सबसे पावन है। राम नाम की महिमा ऐसी है कि भवसागर से बेड़ा पार लगा दे। राम का आसरा ही सबसे न्यारा है और यह बात हमारे नेता बखूबी जानते हैं। तभी तो उन्हें राम की याद सताने लगी है। केवट और सबरी की तरह अब नेता राममय हो गए हैं। बस अब उन्हें कुछ नहीं चाहिए, केवल राम का आसरा ही उनकी अभिलाषा है।
अब कमलनाथ को ही देख लें। कुछ दिनों पहले तक वह हनुमान जी को याद कर रहे थे, लेकिन जब बात बनते न दिखी, तो सोचा सीधे प्रभु राम को ही याद कर लें और उन्होंने मध्यप्रदेश में रामवन गमन पथ बनवाने की घोषणा कर दी। इतना ही नहीं राहुल गांधी तो राम के साथ हर भगवान को मनाने में जुटे हैं। राम से लेकर भगवान शंकर तक अपनी गुहार लगा रहे हैं। कैलाश भी हो आए और जनेउ भी धारण कर लिया। अब जब राम की बात हो, तो बीजेपी कहां पीछे रहने वाली आखिर राम पर बीजेपी का तो कॉपीराइट है।
हर चुनाव में बीजेपी राममंदिर मुद्दा उठाती रही है और इस बार भी यह उसका सबसे दमदार हथियार होगा। अब बीजेपी के समर्थक संत वेदांती ने भी कह दिया है कि बीजेपी ने 2019 से पहले राममंदिर निर्माण शुरू करने का प्लान बना लिया है। वेदांती ने तो यहां तक कह दिया कि कोर्ट का फैसला चाहे जो भी हो, राममंदिर तो बनकर रहेगा।
नेताओं की यह अभिलाषा देख लगता है कि इस बार तो राम जी इनका नहीं बल्कि यह रामजी का बेड़ा पार कर ही देंगे। अब देखते हैं कि उनका यह राम प्रेम आगामी चुनाव में जनता पर कितना असर डालता है और क्या यह राम प्रेम अयोध्या में भगवान राम को मंदिर के अंदर विराजमान कर पाता है या नहीं?
तीखे बोल
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