रमजान का पर्व हर मुस्लिम व्यक्ति के लिए ख़ास होता है. यह एक पाक महीना है और इस महीने को बड़े ही जश्न के साथ मनाया जाता है. ऐसे में इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, साल का नौवां महीना रमजान का होता है. इसे इबादत का महीना कहा जाता है, जिसमें मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा अनिवार्य रूप से रोजा रखा जाता है. ऐसे में आप सभी को यह भी बता दें कि इस्लामिक धर्म के अनुसार रमजान के इस पाक महीने को तीन भागों में बांटा गया है. इस महीने में तीन अशरे होते हैं. अब आज हम आपको उन्ही के बारे में बताने जा रहे हैं.
रमजान के महीने में 3 अशरे -
पहला अशरा -
1-10 दिन रहमत का अशरा.
दूसरा अशरा -
11-20 दिन गुनाहों की माफी का अशरा.
तीसरा अशरा -
21-30 दिन जहन्नम की आग से खुद को बचाने का अशरा.
पहला अशरा- आपको बता दें कि रमजान का पहला अशरा रहमत का होता है और इस महीने के पहले 10 दिन में रोजा रखने वालों पर अल्लाह की रहमत होती है. कहते हैं इस्लामिक धर्म के अनुसार इन दिनों में अधिक से अधिक दान करना चाहिए और जरूरतमंद, गरीब लोगों की मदद करनी चाहिए. इसी के साथ इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार इन दिनों में सभी के साथ प्यार से रहना चाहिए.
दूसरा अशरा (11-20 दिन) - आप सभी को बता दें कि रमजान का दूसरा अशरा माफी का होता है और दूसरा अशरा 11वें रोजे से 20वें रोजे तक चलता है. वहीं इस्लामिक धर्म के अनुसार इन दिनों में इबादत कर, अल्लाह से किए गए गुनाओं की माफी मांगी जाती है. कहते हैं इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार दूसरे अशरे के दौरान जो भी व्यक्ति अपने गुनाहों के लिए मांफी मांगता है, उसे अल्लाह माफ करते हैं.
तीसरा अशरा (21-30 दिन) - रमजान का तीसरा यानी अंतिम अशरा जहन्नम की आग से खुद को बचाने के लिए होता है. आपको बता दें कि ये अशरा सबसे महत्वपूर्ण भी माना जाता है. जी दरअसल 21वें रोजे से शुरू होकर 30वें रोजे तक ये अशरा चलता है. वहीं इस्लामिक धर्म के अनुसार तीसरे और अंतिम अशरे के दौरान अल्लाह से जहन्नम से बचने के लिए दुआ की जाती है.
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