रमजान के महीने को इबादत का महीना कहा जाता है. लेकिन ऐसा क्यों कहा है इसके बारे बताने जा रहे हैं. आपको बता दें, रमजान का अर्थ है जलना यानी रोजा रखने से सारे गुनाह जल जाता है. बता दें, इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक नवां महीना रमजान का होता है. इसमें सभी मुस्लिम समुदाय के लोग एक महीना रोजा रखते हैं. आपकी बता दें, मुस्लिम समुदाय में रमजान को इसलिए भी खास माना जाता है, क्योंकि इसी दौरान इस्लामिक पैगम्बर मोहम्मद साहब के सामने कुरान की पहली झलक पेश की गई थी.
रमजान को कुरान के जश्न का भी मौका माना जाता है. रमजान एक अरेबिक शब्द है. ये अरेबिक के रमीदा और रमद शब्द से मिलकर बना है. इसका मतलब चिलचिलाती गर्मी और सूखापन होता है रमजान के दौरान मुस्लिम समुदाय के लोग पूरे एक महीने व्रत(रोजा) रखते हैं.
हर दिन सुबह सूरज उगने से पहले थोड़ा खाना खाया जाता है. इसे सुहूर (सेहरी) कहते हैं, जबकि शाम ढलने पर रोजेदार जो खाना खाते हैं उसे इफ्तार कहते हैं. रमजान के दौरान खास दुआएं पढ़ी जाती हैं. हर दुआ का समय अलग अलग होता है.
दिन की सबसे पहली नमाज को फज्र कहते हैं. जबकि रात की खास नमाज को तारावीह कहते हैं तराविह की हर सजदा पर 20000 सवाब मिलता है.
रमजान के दौरान रोजेदारों को बुरी सौहबतों से दूर रहना चाहिए, उन्हें न तो झूठ बोलना चाहिए, न पीठ पीछे किसी की बुराई करनी चाहिए, और ना ही लड़ाई झगड़ा करना चाहिए. इस्लामिक पैगंबरों के मुताबिक ऐसा करने से अल्लाह की रहमत मिलती हैं.
रमजान के दौरान पूरे महीने कुरान पढ़ना चाहिए. पैगंबरों के मुताबिक कुरान को इस्लाम के पांच स्तम्भों में से एक माना गया है. रोजे के वक्त कुरान पढ़ने से खुदा बंदों के गुनाह माफ करते हैं और उनके लिए जन्नत का दरवाजा खोलते हैं.
जानिए इस्लाम धर्म में क्या होता है हरे रंग का महत्व