आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जैसे आजकल सभी लोग दिन और तारिख ग्रेगोरियन कैलेंडर के हिसाब से देखकर चलते हैं, वैसे ही मुस्लमान हिजरी कैलेंडर के अनुसार चलते हैं. इस कैलेंडर का नौवा महीना रमज़ान होता है, जिसे अरबी भाषा में रमदान कहते हैं. पूरी दुनिया में फैले सभी मुस्लिम भाइयों के लिए रमज़ान का पाक महीना एक बड़ा उत्सव होता है, जिसे बरकती माना जाता है. कहा जाता है कि इस महीने में आसमान से अल्लाह की तरफ से रहमतें और बरकतें आती हैं. आइए इस खबर के माध्यम से जानते हैं कि रोज़े क़ि हालत में हमें किन-किन नियमों का पालन करना चाहिए.
रोज़े के दौरान सिर्फ मुँह का ही रोज़ा नहीं होता. रोज़े से मतलब है आपके शरीर के हर अंग क रोज़ा होना. जबान का ताकि आप कुछ बुरा न बोलें, कान का ताकि आप कुछ गलत न सुनें, आँखों का ताकि आप कुछ गलत न देखें और पैरों का भी ताकि आप किसी गलत दिशा में न जाएं.
हर एक मुसलमान को इस बात की जानकारी होनी चाहिए क़ि वह सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच कुछ भी ना खाये ना पिये. इस दौरान उसके मन में खाने का ख़याल भी नहीं आना चाहिए.
आखिर रोज़े क्यों रखते है मुसलमान?