'आदिपुरुष' पर बोले रामानंद सागर के बेटे- 'लोगों की भावनाओं को आहत मत कीजिए'

'आदिपुरुष' पर बोले रामानंद सागर के बेटे- 'लोगों की भावनाओं को आहत मत कीजिए'
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'आदिपुरुष' की रिलीज के पश्चात् ऐसा लग रहा है जैसे प्रशंसकों का दिल टूट गया। रामायण पर आधारित फिल्म से बहुत उम्मीदें थीं मगर रिलीज के बाद यह उस पर खरी उतरती नहीं नजर आई। प्रभास और कृति सेनन स्टारर फिल्म को नकारात्मक रिव्यूज बहुत प्राप्त हुए हैं। फिल्म के ऐसे कई डायलॉग हैं जिन पर दर्शकों ने गुस्सा जताया है। ट्विटर पर फिल्म के डायलॉग के स्क्रीनशॉट वायरल हो गए हैं। ट्विटर पर हनुमान का बोला हुआ डायलॉग वायरल हुआ जिसमें भाषा को लेकर सवाल खड़े किए गए। फिल्म में डायलॉग मनोज मुंतशिर ने लिखे हैं। उन्हें ट्रोल किया जाने लगा। साथ ही डायरेक्टर ओम राउत भी निशाने पर आए। वही अब ऐसे में 80 के दशक में रामायण बनाने वाले रामानंद सागर के बेटे प्रेम सागर ने एक न्यूज चैनल को इंटरव्यू दिया। 

जिस पर उन्होंने कहा- आदिपुरुष मैंने नहीं देखी है लेकिन, मैंने फिल्म का ट्रेलर और टीजर जरूर देखा है। वही 'आदिपुरुष' में हनुमान जी का एक डायलॉग है, 'तेल तेरे बाप का। कपड़ा तेरे बाप का। और जलेगी भी तेरे बाप की'। इस पर उन्होंने कहा- ओम राउत ने 'आदिपुरुष' के माध्यम से मार्वल्स बनाने का प्रयास किया है। पापाजी (रामानंद सागर) ने भी 'रामायण' बनाते समय रचनात्मक स्वतंत्रता का इस्तेमाल किया था। किन्तु, उन्होंने प्रभु श्रीराम को समझा था। उन्होंने कई सारे ग्रंथों को पढ़ने के बाद छोटे-मोटे परिवर्तन किए थे। लेकिन, कभी भी तथ्यों के साथ छेड़छाड़ करने का प्रयास नहीं किया था। 

वही आदिपुरुष में रावण बने सैफ अली खान के लुक पर उन्होंने कहा, रावण बहुत विद्वान थे। आप रावण को एक विलेन के तौर पर पेश नहीं कर सकते हैं। वह बहुत बड़े ज्ञाता थे। कुछ ग्रंथों के अनुसार, रावण ने इतना विध्वंस इसलिए कराया था क्योंकि उन्हें पता था कि उन्हें सिर्फ प्रभु श्रीराम के हाथों ही मुक्ती मिल सकती है। ग्रंथों में तो ये भी लिखा है कि प्रभु श्रीराम स्वयं रावण को बहुत बड़ा ज्ञाता मानते थे। जब रावण की मृत्यु होने वाली थी तब प्रभु श्रीराम ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण को रावण के पास भेजा था। उन्हाेंने लक्ष्मण से कहा था, 'रावण के चरणों में जाओ। उनसे शिक्षा लो।' ऐसा था रावण का औहदा। आप क्रिएटिव लिबर्टी के नाम पर रावण को खूंखार विलेन बनाकर पेश नहीं कर सकते हैं। साथ ही उन्होंने कहा- यदि आपने आज की रामायण बनाई है तो उसे ब्रीच कैंडी में दिखाइए, कोलाबा में दिखाइए। वर्ल्डवाइड मत दिखाइए। लोगों की भावनाओं को आहत मत कीजिए। कृत्तिवासी, एकनाथ सहित कई लोगों ने रामायण लिखी। मगर, किसी ने भी कंटेंट नहीं बदला था। सिर्फ कलर या भाषा बदली थी। यहां तो पूरे तथ्य ही बदले हुए हैं।

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