हिंदू धर्म में ऐसे बहुत से ग्रंथ शामिल है, जिनके बारे में आप सभी जानते ही होंगे. इन्ही सबमे से एक है रामायण, जिसमें श्रीराम और रावण के बारे में बहुत सारी ऐसा कथाएं शामिल हैं, जिसे अगर कोई इंसान रोजाना नियम के अनुसार उसका अनुसरण कर ले तो उसके जीवन की सारी परेशानियों का हल निकल सकता है. जी हाँ, इसी के साथ रामायण काफी बड़ी है और इसका रोज पाठ कर पाना बेहद कठिन होता है यह हम सभी जानते हैं. ऐसे में आज हम आपको एक ऐसे मंत्र के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें पूरी रामायण का सार छिपा है.. जी दरअसल यह कहा जाता है कि इस एक श्लोक का जाप रोजाना करने से रामायण पढ़ने के बराबर पुण्य मिलता है. तो आइए जानते हैं इस मंत्र के बारे में.
मंत्र
आदि राम तपोवनादि गमनं, हत्वा मृगं कांचनम्.
वैदीहीहरणं जटायुमरणं, सुग्रीवसंभाषणम्..
बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं, लंकापुरीदाहनम्.
पश्चाद् रावण कुम्भकर्ण हननम्, एतद्धि रामायणम्..
अर्थ - श्रीराम वनवास गए, वहां स्वर्ण मृग का का वध किया. वैदेही यानि सीताजी का रावण ने हरण कर लिया, रावण के हाथों जटायु ने अपने प्राण गंवा दिए. श्रीराम और सुग्रीव की मित्रता हुई. बालि का वध किया. समुद्र पार किया. लंकापुरी का दहन किया. इसके बाद रावण और कुंभकर्ण का वध किया. ये रामायण की संक्षिप्त कहानी है.
मंत्र जाप के फायदे - कहते हैं इस मंत्र का जाप करने से शांति होने लगती है और इससे बुरे विचारों से छुटकारा मिल जाता है. इसी के साथ नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है और पूजा करते समय इस मंत्र का जाप करने से भगवान की कृपा जल्दी मिल सकती है.
कैसे करें मंत्र का जाप - कहा जाता है इस मंत्र का जाप घर के मंदिर में करना चाहिए और हर दिन सुबह स्नान के बाद मंदिर में पूजा करें. इसी के साथ जाप के लिए साफ आसन पर बैठकर भगवान श्रीराम का ध्यान करते हुए मंत्र का जाप करना चाहिए और मंत्र जाप कम से कम 108 बार करें. ध्यान रहे अगर आपके पास ज्यादा समय न हो तो 11 या 21 बार भी कर सकते हैं.
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