नई दिल्ली: रमाला अली सोमालिया की एकमात्र महिला मुक्केबाज हैं, वह ब्रिटेन की राष्ट्रीय चैंपियन भी रह चुकी हैं. इमाम की बेटी रमाला बचपन से ही शरणार्थी के तौर पर ब्रिटेन में पाली बढ़ी हैं. मां की इच्छा के विरूद्ध जाकर उन्होंने मुक्केबाजी से प्यार किया. अब मां की इच्छा का सम्मान करते हुए अपने देश के लिए वह यहां विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण जीतने के लिए आई हैं, वह 15 नवंबर से होने वाली 10वीं आईबा महिला विश्व चैंपियनशिप में अपने देश का प्रतिनिधत्व करेंगी, इस चैंपियनशिप के लिए अभी तक 10 देशों के मुक्केबाज हिस्सा लेने पहुँच चुके हैं.
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रमाला ने कहा है कि, 'अपने देश की एकमात्र मुक्केबाज होने का अहसास खास है, लेकिन मेरा लक्ष्य विश्व चैंपियनशिप में अच्छा प्रदर्शन करना है और मैं अपना सर्वश्रेष्ठ करने का प्रयास करुँगी.' ब्रिटेन में राष्ट्रीय चैंपियन बनने से लेकर सोमालिया की एकमात्र मुक्केबाज बनने तक का रमाला का सफर काफी कठिन रहा है, रमाला की मां अनीसा माये मालीम ने 90 के दशक में गृहयुद्ध में अपने 12 साल के बेटे के मारे जाने के बाद रमाला को लेकर ब्रिटेन में बस गई थी.
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किशोरावस्था में रमाला काफी मोटी थी, मोटापे को कम करने के लिए उन्होंने मुक्केबाजी शुरू कर दी थी. हालांकि उनकी मां मुक्केबाजी से उनके प्रेम से खफा थीं, उन्हें रमाला के कुश्ती लड़ने से कोई परहेज नहीं था लेकिन वह अपनी बेटी को मुक्केबाजी कतई नहीं करने देना चाहती थीं. इस द्वंद के बीच रमाला ने मां से छिपकर मुक्केबाजी जारी रखी, मां चाहती थीं कि रमाला ब्रिटेन के लिए नहीं बल्कि सोमालिया के लिए खेलें, रमाला ने मां की यह बात मान ली और अब वे सोमालिया की तरफ से विश्वकप का हिस्सा बनने जा रही है.
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