लखनऊ: अयोध्या में राम मंदिर का निर्माणकार्य तेजी से चल रहा है। 22 जनवरी को मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। मंदिर के गर्भगृह का निर्माण पूरा हो चुका है। इस बीच सामने आया है कि रामलला संगरमरमर तथा सोने की प्लेट लगे 8 फीट ऊंचे सिंहासन पर विराजमान होंगे। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के एक सदस्य ने कहा कि यह सिंहासन राजस्थान के कारीगरों द्वारा बनाया जा रहा है, जोकि 15 दिसंबर तक अयोध्या पहुंच जाएगा। यह सिंहासन 8 फीट ऊंचा तथा 4 फीट चौड़ा होगा। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा ने कहा, मंदिर के गर्भगृह का निर्माणकार्य भी पूरा हो चुका है। उन्होंने कहा कि राम मंदिर का ग्राउंड फ्लोर 15 दिसंबर तक तैयार करना है जबकि फर्स्ट फ्लोर का 80 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है।
प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, अनिल मिश्रा ने कहा, पहली मंजिल पर 17 खंभे लगाए जा चुके हैं तथा सिर्फ दो खंभे लगने बाकी हैं। पहली मंजिल की छत 15 दिसंबर तक तैयार होने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि परिक्रमा मार्ग की फर्श का काम भी पूरा हो चुका है तथा गृह मंडप के फर्श पर संगमरमर बिछाने का काम चल रहा है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य ने कहा, यात्री सुविधा केंद्र की तीनों मंजिलों की छतें बनाई जा चुकी हैं, जबकि राम मंदिर की बाहरी दीवार (परकोटा) के प्रवेश द्वार का काम आखिरी चरण में है तथा नवंबर के आखिर तक पूरा हो जाएगा। राम मंदिर के लिए श्रद्धालुओं ने बड़ी मात्रा में सोने और चांदी की वस्तुएं दान में दी हैं। मिश्रा ने कहा, भक्तों ने जिन सोने एवं चांदी की वस्तुओं को दान में दिया है, उन्हें पिघलाया जाएगा क्योंकि उन्हें जमा करके रखना मुश्किल है।
उन्होंने कहा कि पिघलाने का काम एक प्रतिष्ठित संस्था के मार्गदर्शन में किया जाएगा। हाल ही में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने 100 क्विंटल चावल का ऑर्डर दिया था, जिसका उपयोग 5 नवंबर को "अक्षत पूजा" में किया जाएगा तथा फिर देश भर में प्रभु श्री राम के भक्तों के बीच इसे वितरित किया जाएगा। इसके साथ ही एक क्विंटल पिसी हुई हल्दी तथा देसी घी भी मंगवाया गया है, जिसे विधि-विधान से चावल में मिलाया जाएगा। ट्रस्ट के सचिव चंपत राय ने मंगलवार को कहा कि सभी प्रदेशों से विहिप प्रतिनिधियों को 5 नवंबर को अयोध्या बुलाया गया है। हर प्रतिनिधि को 5 किलो चावल दिया जायेगा। वे अपने-अपने मंदिरों में इसकी पूजा कर जिले के प्रतिनिधियों को देंगे। तत्पश्चात, इसे ब्लॉकों, तहसीलों एवं गांवों में लोगों को भेजा जाएगा।
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