भोपाल/ब्यूरो। मप्र के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा हमेशा कुछ अलग और लीक से हटकर करते हैं। बुधवार को उन्होंने भोपाल के संगीत सिनेमाघर में अक्षय कुमार की फिल्म" रामसेतु" भोपाल के पत्रकारों के साथ देखी। लगभग सौ से अधिक पत्रकारों ने यह फिल्म देखी।
दरअसल कुछ वर्ष पूर्व कांग्रेस और भाजपा के बीच रामसेतु को लेकर उठे विवाद को लेकर यह फिल्म बनाई गई है। कांग्रेस कार्यकाल में श्रीलंका की ओर से रामेश्वरम की ओर आने वाले पानी के जहाजों का मार्ग छोटा करने रामसेतु को तोड़ने की योजना बनी थी। जिसका भाजपा ने तीखा विरोध किया।
फिल्म में अक्षय कुमार भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधिकारी हैं जो पूरी तरह नास्तिक हैं। रामसेतु पर एक रिपोर्ट को लेकर उन्हें जैसे ही निलम्बित किया जाता है वैसे ही सेतु प्रोजेक्ट से जुड़ा माफिया उन्हें अपने से जोड़ लेता है। रामसेतु की जांच के दौरान अक्षय कुमार को विश्वास हो जाता है कि यह सेतु 7000 वर्ष पहले भगवान राम ने ही बनाया है। माफिया उन्हें मारना चाहता है। वह लंका पहुंचकर रावण के होने के प्रमाण एकत्रित करते हैं। सुप्रीम कोर्ट में ढेर सारे प्रमाण रखकर 7000 वर्ष पूर्व भगवान राम के होने की पुष्टि करते हैं। सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाता है कि भगवान राम लोगों की आस्था में हैं। जो इन्हें नहीं मानते वे उनके न होने का प्रमाण दें। जीत रामभक्तों की होती है।गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि यह फिल्म अकल्पनीय है जिसमें बेहद सलीके से भगवान राम के होने की प्रमाणिक जानकारी जनता के बीच रखी है। साथ ही जो लोग भगवान राम के अस्तित्व को नकारते हैं उनके गाल पर तमाचा भी है।
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