पटना: देश में गठबंधन की राजनीति के महारथियों की चर्चा जब भी होती है, तो उसमें बिहार के दिग्गज नेता राम विलास पासवान का नाम अग्रिम पंक्ति में लिया जाता है। तीन दशक में जिन कुछ क्षेत्रीय पार्टियों के महारथियों ने सत्ता के सबसे निपुण दांव खेले, उनमें लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) सुप्रीमो रामविलास पासवान का नाम शीर्ष पर हैं। सरकार किसी भी दल की रही हो, राम विलास पासवान केंद्रीय मंत्री अवश्य रहे।
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की मुजूदा सरकार में कैबिनेट मंत्री पासवान गुरुवार को फिर NDA की नई सरकार में शामिल हो गए। उन्होंने मंत्री पद की शपथ ग्रहण की। राष्ट्रपति रामनाथ काेविंद ने उन्हें पद व गोपनीयता की शपथ ग्रहण करवाई। रामविलास पासवान बिहार से राज्यसभा भी जाएंगे। मोदी सरकार में रामविलास पासवान को खाद्य, सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मंत्रालय सौंपा गया है।
उल्लेखनीय है कि इस लोकसभा चुनाव में रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा ने छह सीटों पर चुनाव उम्मीदवार उतारे थे। उसने सभी सीटों पर जीत हासिल की थी। इसके बाद लोजपा प्रमुख राम विलास पासवान ने कहा था कि उनकी पार्टी चिराग पासवान को मंत्री बनाना चाहती है, किन्तु अंतिम रूप से रामविलास पासवान के नाम पर ही मुहर लग सकी। आपको बता दें कि 1977 में पहली बार सांसद बनने के बाद पासवान 1989 में पहली बार केंद्रीय मंत्री बने, जिसके बाद से कोई भी उन्हें केंद्रीय मंत्री की कुर्सी से हटा नहीं सका, मंत्रालय बदले लेकिन केंद्रीय मंत्री का पद नहीं।
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