रमज़ान का पवित्र महीना शुरू हो चूका है, चांद दिखने के बाद से रोजे रखने की परंपरा है. इस दौरान मुस्लिम समुदाय रोजे रखकर अल्लाह की इबादत करते. ऐसा कहा जाता है कि रमज़ान के दौरान हर दुआ कुबूल होती है. रमज़ान में सभी लोग रोज़े रखते है और न कुछ खाते है और न कुछ पीते है. कुछ नहीं मतलब कुछ नहीं..और नहीं किसी की बुराई करना, लड़ाई, झगड़ा, गाली देना इन सब चीजों से रोजा टूट जाता है.
लेकिन कुछ हालात ऐसे होते है जब रोज़े में छूट होती है.
जैसे अगर कोई बीमार है, जिसमें डॉक्टर ने भूखे रहने से मना किया है. या फिर वो कुछ ऐसी दवा खा रहा है जिसे छोड़ने से उसकी बीमारी बढ़ जाएगी तो वो रोजा छोड़ सकता है. या फिर कोई महिला प्रेग्नेंट है या फिर वो माँ जो अपनी बच्चे को दूध पिलाती है वह भी रोज़ा खोल सकती है. इसके अलावा बुजुर्ग और छोटे बच्चों भी रोज़े में छूट दी गई है.
वहीं कुछ हालत ऐसे भी होते है जिनमें रोज़े नहीं टूटते है.
जैसे कि नहाते समय नाक या मुंह में पानी का जाना. जैसा कि हम सभी जानते है कि नहाते वक्त ऐसा हो जाता है कि गलती से नाक या मुंह में पानी चला जाता है, तो ऐसे मौके पर रोजा टूटता नहीं है, लेकिन जानबूझ कर पानी पी लेने से रोजा टूट जाएगा. इसके अलावा कई बार ऐसा होता है कि कुछ लोग भूल जाते है कि उन्होंने रोज़ा रखा है और वे गलती से कुछ खा लेते है तो ऐसे में रोज़ा नहीं टूटता.
हां अगर इस दौरान आपको याद आ जाये कि आपने रोज़ा रखा है तो आप खाने को तुरंत छोड़ दे. इसके अलावा ये भी कहा गया है कि अपना थूक निगलने से भी रोज़ा नहीं टूटता. नाख़ून काटने और दाढ़ी बनाने से भी रोज़ा नहीं टूटता है.
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