रांची: दिनों दिन बाटे जा रहे जुर्म कि घटनाओं से आज हर कोई वाकिफ है वहीं हाल ही में झारखंड में मानवीय संवेदनाओं को झकझोर कर रख देने वाली एक और घटना सुनने को मिली है. दलालों ने एक 16 वर्षीय आदिवासी किशोरी को दिल्ली में बेच दिया था. किशोरी जब खरीदार के सुपुर्द की गई तो उसे वहां बंधक बनाकर रखा गया. घरेलू काम करवाने के साथ-साथ खरीदार उसका यौन उत्पीड़न भी करता था. उसे बुरी तरह पीटता भी था. करीब 45 दिनों तक यह दंश झेलती रही. एक रात वह साहस जुटा कर उसके चंगुल से भाग निकली. उस वक्त उसके पास न पैसे थे और न ही किसी का मोबाइल नंबर. न साधन, न जानकारी.
शाम होते ही करती थी पेड़ की तलाश: वहीँ सी बात का पता चला है अपने घर जाने के क्रम में आदिवासी किशोरी 2 महीने तक अनजान राहों पर पैदल चली. वहीं इस बीच भूख लगती तो किसी लाइन होटल में बर्तन साफ कर कभी खाना मिल जाता तो कभी जूठन के सहारे दिन गुजरता. उसे लोगों के सामने हाथ तक पसारना पड़ा. जंहा शाम होते ही वह किसी पेड़ की तलाश में जुट जाती. किसी अनहोनी के डर से उसकी रात पेड़ पर ही गुजरती. फिर अगले दिन अल सुबह वह फिर अनजान सफर पर चल देती.
दो और लड़कियों का नहीं है अता-पता: सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार हम आपको बता दें कि पीड़़ित किशोरी के गांव पहुंचने पर दो और लड़कियों के गायब होने की जानकारी मिली. इनमें से एक को पीड़िता के साथ ही ले जाया गया था, जो पुरानी दिल्ली में उसके साथ ही थी. जिससे इतर तीन साल पहले ले जाई गई इसी गांव की एक युवती का भी कोई अता-पता नहीं है. अंकित जब पीड़िता के गांव पहुंचे तो वहां उसकी मां ने उस व्यक्ति का नंबर उपलब्ध कराया, जिसके साथ किशोरी दिल्ली गई थी. फोन पर दलाल ने खुद को उसका भाई बताया, लेकिन जब उससे साक्ष्य की की मांग की गई तो वह मुकर गया. फिलहाल उक्त दलाल फरार है.
अधीक्षक, संस्थान संचालक और बैंक कैशियर को इस वजह से किया गया गिरफ्तार
केंद्रीय विश्वविद्यालय 24 विभागों में पीएचडी की 236 सीटें भरने की बनाई योजना