भोपाल: मध्यप्रदेश में कोरोना संकट का माहौल अब खत्म होने लगा है। इस बीच आज रानी लक्ष्मीबाई का बलिदान दिवस है। ऐसे में प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि दी है। जी दरअसल मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने ट्विटर अकाउंट से ट्वीट किया है। इस ट्वीट में उन्होंने लिखा है- ''1857 के संग्राम में अंग्रेजों से लोहा लेने वाली वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं, साहस और वीरता की प्रतीक रानी लक्ष्मीबाई भारतीय इतिहास में अमर है। मातृभूमि के गौरव और स्वाभिमान की रक्षा के लिए प्राणों को न्योछावर कर देने वाली वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई सदैव भारत की बेटियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेंगी।''
1857 के संग्राम में अंग्रेजों से लोहा लेने वाली वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। साहस और वीरता की प्रतीक रानी लक्ष्मीबाई भारतीय इतिहास में अमर हैं: सीएम श्री @ChouhanShivraj pic.twitter.com/cIWRJ7ltZN
— CMO Madhya Pradesh (@CMMadhyaPradesh) June 18, 2021
उनके अलावा मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी ट्वीट किया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा- "खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी। अंग्रेजों के विरुद्ध 1857 के पहले स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी भूमिका निभाने वाली,शौर्य व बलिदान की प्रतिमूर्ति झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि पर उन्हें सादर नमन। आपके संघर्ष, अमर बलिदान के लिए देश सदैव आपका ऋणी रहेगा।'' आप सभी को यह भी बता दें कि लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवंबर 1835 को काशी में हुआ था। उनके पिता का नाम मोरोपंत ताम्बे और माता का नाम भागीरथी बाई था। वहीँ लक्ष्मीबाई का उपनाम मणिकर्णिका था, इस वजह से अपने बाल्यकाल में वे मनुबाई के नाम से भी जानी जाती थीं। आपको यह भी बता दें कि लक्ष्मीबाई के पिता बलवंत राव के बाजीराव पेशवा की सेना में सेनानायक होने के कारण मोरोपंत पर भी पेशवा की कृपा रहने लगी।
"खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।"
— Dr Narottam Mishra (@drnarottammisra) June 18, 2021
अंग्रेजों के विरुद्ध 1857 के पहले स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी भूमिका निभाने वाली,शौर्य व बलिदान की प्रतिमूर्ति झांसी की #रानी_लक्ष्मीबाई जी की पुण्यतिथि पर उन्हें सादर नमन।
आपके संघर्ष,अमर बलिदान के लिए देश सदैव आपका ऋणी रहेगा। pic.twitter.com/v9b0OFbNy3
साल 1838 में गंगाधर राव को झांसी का राजा घोषित किया गया, वे विधुर थे। उसके बाद साल 1850 में मनुबाई से उनका विवाह हुआ, और उसके बाद वो मुन से रानी लक्ष्मीबाई कहलाईं। वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई महज 29 साल की उम्र में वीरगति को प्राप्त हुई। कहा जाता है कि लक्ष्मीबाई सिर पर तलवार के वार से शहीद हुई थी, 18 जून 1858 में वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों से लड़ते हुए प्राण त्याग दिए थे।
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