हिंदू धर्म में हर जगह आस्था और विश्वास के अलग-अलग उदाहरण देखने को मिल जाते हैं। इसके अलावा आज के इस डिजिटल युग में जहां इंटरनेट, मेल और फोन का चलन है, वहीं भारत में एक जगह ऐसी भी है जहां लोग गणपति को अपने मन की बात चिट्टी के माध्यम से बताते हैं। एक तरफ इस मंदिर में लाखों की संख्या में चिट्ठियां भेजी जाती हैं। रणथंभौर राजस्थान में गणेश जी का एक मंदिर ऐसा भी है जहां हर शुभ कार्य से पहले गणपति जी को चिट्ठी भेजकर निमंत्रण दिया जाता है। इस मंदिर में गणेश जी के चरणों में चिठ्ठियों और निमंत्रण पत्रों का ढेर लगा रहता है। आइए जानते हैं इस मंदिर के बारें में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी|
मंदिर स्थापना
गणपति जी के इस मंदिर की स्थापना रणथंभौर के राजा हमीर ने 10वीं सदी में की थी। ऐसा कहा जाता है कि युद्ध के समय गणेश जी राजा के सपने में आएं और उन्हें आशीर्वाद दिया और राजा युद्ध में विजयी हुए। इसके बाद राजा ने अपने किले में गणेश जी के मंदिर का निर्माण करवाया।
त्रिनेत्री भगवान गणेश विराजते हैं इस मंदिर में
यहां भगवान गणेश की मूर्ति में भगवान की तीन आंखें हैं। यहां पर भगवान गणेश जी अपनी पत्नी रिद्धि, सिद्धि और अपने पुत्र शुभ-लाभ के साथ विराजमान हैं। गणपति का वाहन चूहा भी साथ में है। यहां गणेश चतुर्थी पर विशेष पूजा अर्चना की जाती है और बड़े ही धूमधाम से उत्सव मनाया जाता है।
डाक से भेजी जाती हैं चिट्ठियां
इस मंदिर में किसी भी शुभ कार्य से पहले या अपनी मन की बात गणपति को बताने के लिए लोग डाक द्वारा चिट्ठियां भेजते हैं। कार्ड पर पता लिखा जाता है- 'श्री गणेश जी, रणथंभौर का किला, जिला- सवाई माधौपुर (राजस्थान)। डाकिया के द्वारा भी इन चिट्ठियों को पूरी श्रद्धा और सम्मान से मंदिर में पहुंचा दिया जाता है। चिट्टी जब मंदिर में पहुंच जाती हैं तब पुजारी जी चिट्ठियों को भगवान गणेश के सामने पढ़कर उनके चरणों में रख देते हैं। ऐसा कहा जाता ही कि है कि इस मंदिर में भगवान गणेश को निमंत्रण भेजने से सारे काम सफल हो जाते हैं।
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