मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने बोला है कि जब 2 मैच्योर रिलेशनशिप में होते हैं तो उनमें से एक उपरांत में रेप का इल्जाम केवल इसलिए नहीं लगा सकता क्योंकि संबंध खराब हो जाते हैं या शादी तक नहीं पहुंच पाते। जस्टिस भारती डांगरे ने वर्सोवा पुलिस स्टेशन में साल 2016 में एक महिला द्वारा उसके पूर्व पार्टनर के विरुद्ध दर्ज किए गए रेप के मामले में बरी करते हुए 29 मार्च को निर्णय सुना दिया था।
अदालत ने बोला है कि रिलेशनशिप में केवल एक को इसलिए दोष नहीं दिया जा सकता है क्योंकि किसी कारण से दोनों शादी नहीं कर पाए। 26 साल के महिला ने अपनी शिकायत में दावा किया था कि वह सोशल मीडिया के माध्यम उस व्यक्ति से मिली थी और उसने शादी का झूठा वादा कर उसके साथ शारीरिक संबंध भी बना लिए। बाद में उस शख्स ने इस मामले से बरी होने की मांग करते हुए अदालत का रुख कर लिया। कोर्ट ने उसकी याचिका स्वीकार करते हुए बोला है कि व्यक्ति और महिला 8 वर्ष से रिश्ते में थे।
हाई कोर्ट ने बोला है कि बेशक जब दोनों के मध्य शारीरिक रिश्ता बना, उस वक़्त वयस्क थी। वह उस आयु में थी जहां माना जाता है कि उसके कार्य परिणामों को समझने की पर्याप्त परिपक्वता है और महिला के मुताबिक ही कुछ मौकों पर रिश्ते सहमति से बने थे, लेकिन कभी-कभी यह जबरदस्ती था। यह संबंध बहुत वक़्त तक जारी रहा और इससे यह निष्कर्ष नहीं निकलता है कि हर मौके पर केवल शादी के वादे पर ही यौन संबंध बना लिए है।
जिसके साथ साथ जस्टिस डांगरे ने कहा कि चूंकि रिश्ते में खटास भी आ गई थी, इसलिए ये अनुमान नहीं लगाया जा सकता है कि हर मौके पर शारीरिक संबंध उसकी इच्छा के विरुद्ध था। फैसले में कहा गया कि महिला के अनुसार, शादी के वादे के कारण नहीं बल्कि उससे प्यार करती थी, इसलिए शारीरिक संबंध के लिए सहमति दे दी थी।
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