इस्लामी शिक्षा के नाम पर बच्चों के यौन शोषण की घटनाएँ अक्सर सामने आती हैं। हाल ही में मलेशिया पुलिस ने उन इस्लामी चैरिटी होम्स का खुलासा किया है जहाँ बच्चों का पहले यौन शोषण किया जाता था तथा फिर उन्हें दूसरों बच्चों के खिलाफ बलात्कार की ट्रेनिंग दी जाती थी। पुलिस ने ऐसे 20 चैरिटी होम्स पर छापा मारा है तथा 400 से अधिक बच्चों को मुक्त कराया है, जिनमें 201 लड़के और 201 लड़कियाँ शामिल हैं। इस कार्रवाई में मौलवियों समेत 171 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, इन चैरिटी होम्स में बच्चों के साथ पहले दुष्कर्म किया जाता था और फिर उन्हें दूसरों बच्चों के खिलाफ बलात्कार करना सिखाया जाता था। विरोध करने पर 5 वर्ष तक के बच्चों को गर्म चीजों से दाग दिया जाता था।
छापेमारी की यह कार्रवाई बच्चों के साथ दुर्व्यवहार, यौन उत्पीड़न एवं छेड़छाड़ की शिकायत मिलने के बाद की गई है। पोर्ट डिक्सन में चल रहे चैरिटी होम्स के बारे में यह शिकायत 2 सितंबर 2024 को मिली थी। फिर 11 सितंबर को दो अलग-अलग प्रदेशों में स्थित 20 इस्लामी चैरिटी होम्स पर छापा मारकर 402 बच्चों को मुक्त कराया गया। इन चैरिटी होम्स का संचालन ग्लोबल इखवान सर्विसेज एंड बिजनेस (GISB) नामक कंपनी द्वारा किया जाता है। यह मलेशियाई कंपनी एक इस्लामी व्यापारिक समूह है तथा सुपरमार्केट के कारोबार से जुड़ी है। इसके कारोबार का विस्तार कई देशों में है। इस कंपनी का एक प्रतिबंधित मजहबी संगठन से भी जुड़ाव बताया जाता है। जिन बच्चों को छापेमारी के बाद बचाया गया, वे इसी कंपनी के कर्मचारियों के बताए जा रहे हैं तथा उन्हें जन्म के तुरंत बाद यहाँ भेजा गया था।
हालांकि, GISB ने यौन शोषण की खबरों को खारिज किया है तथा कहा है कि कंपनी किसी भी अवैध गतिविधि में सम्मिलित नहीं है। जीआईएसबी ने यह भी कहा है कि वे इस मुद्दे को सुलझाने के लिए पुलिस के साथ सहयोग करेंगे। जीआईएसबी का संबंध जिस इस्लामी संगठन से बताया जाता है, उसका नाम अल-अरकम है। इसे 1994 में मलेशिया की सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया था। GISB ने भी इस संगठन से अपने रिश्ते स्वीकार किए हैं, किन्तु अब वह खुद को इस्लामी रिवायतों पर आधारित एक समूह बताता है। यह कंपनी पिछली बार 'ओबेडिएंट वाइव्स क्लब' की स्थापना के पश्चात् विवादों में आई थी, जिसका उद्देश्य बीवियों को अपने शौहर के लिए यौन गुलाम की तरह रहने के लिए प्रोत्साहित करना था।
मलेशिया के शीर्ष पुलिस अफसर रजारूद्दीन हुसैन ने बताया कि बचाए गए बच्चों की उम्र 1 से 17 वर्ष के बीच है। गिरफ्तार लोगों में 66 पुरुष और 105 महिलाएँ सम्मिलित हैं, जिनकी आयु 17 से 64 साल के बीच है। उन्होंने बताया कि बच्चों के खिलाफ यौन अपराध एवं मानव तस्करी के कानूनों के तहत मामले की तहकीकात की जा रही है। हुसैन के अनुसार, बच्चों का उपयोग सहानुभूति और धन जुटाने के लिए भी किया जा रहा था और मजहब के नाम पर बच्चों को गलत शिक्षा दी जा रही थी।
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