रेप पीड़िता भिखारी नहीं, मुआवजा कोई दान नहीं - बॉम्बे हाई कोर्ट

रेप पीड़िता भिखारी नहीं, मुआवजा कोई दान नहीं - बॉम्बे हाई कोर्ट
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मुम्बई.14 वर्ष की एक रेप पीड़िता की सुनवाई पर बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मंजुला चेल्लुर और जस्टिस जीएस कुलकर्णी ने बुधवार को कहा है कि कि रेप पीड़िता विक्टिम भिखारी नहीं होती हैं, यह सरकार की जिम्मेदारी है उन्हें मुआवजा दे, यह मुआवजा कोई दान नहीं है. साथ ही हाईकोर्ट ने इस सम्बन्ध में महाराष्ट्र सरकार के रवैये को गलत ठहराया है. न्यूज एजेंसी के अनुसार, रेप पीड़िता ने मनोधैर्य योजना के तहत राज्य सरकार से 3 लाख रुपए की मुआवजा राशि मांगी थी.

बोरीवली की रहने वाली पीड़िता ने आरोप लगाया था कि एक शख्स ने शादी का झांसा देकर उसके साथ रेप किया है. सरकार ने मुआवजे के तौर पर उसे 1 लाख रुपए दे दिए थे. इस मामले की पिछली सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से हाईकोर्ट को बताया गया था कि वह सिर्फ 2 लाख रुपए मुआवजे के तौर पर पीड़िता को देगी क्योंकि ऐसा लगता है कि घटना आम सहमति से हुई थी.

इससे नाराज होकर हाई कोर्ट ने बुधवार को फैसला किया कि 14 वर्ष की लड़की में इस सब की समझ होने और ऐसे परीपक्व निर्णय लेने की उम्मीद नहीं की जा सकती, उस बच्ची को इस उम्र में इसके नतीजे भी नहीं पता होंगे. हाईकोर्ट ने पूछा, क्या अफसरों को अपनी जेब से मुआवजा देना है? ये टैक्स पेयर्स का पैसा है. आप नहीं देंगे तो क्या हम लोगों से डोनेशन कलेक्ट कर पीड़िता को देना शुरू करें.

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