बर्लिन: जर्मनी में कानून प्रवर्तन अधिकारियों ने बीते दिनों आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (ISIS) के दो आतंकवादियों को पकड़ा है, जो इराक और सीरिया में दो नाबालिग यजीदी लड़कियों के यौन शोषण और उन्हें गुलाम बनाने के लिए जिम्मेदार थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, आतंकियों की पहचान आसिया आर ए (Asia R.A.) और ट्वाना एच एस (Twana H.S.) के रूप में की गई है। इन्हें जर्मनी के बरैया राज्य के रेगेन्सबर्ग और रोथ जिलों से पकड़ा गया था।
संघीय अभियोजकों के कार्यालय के अनुसार, ISIS आतंकवादियों पर मानवता के खिलाफ अपराध, नरसंहार, युद्ध अपराध और एक विदेशी आतंकवादी संगठन की सदस्यता रखने का आरोप लगाया गया था। रिपोर्ट के अनुसार, आसिया ने पीड़ितों में से एक का मेकअप किया और एक कमरा तैयार किया, जबकि ट्वाना एच एस ने दोनों बच्चियों के साथ बार-बार बलात्कार किया। उस समय 5 और 12 वर्ष की आयु के पीड़ितों को 'मामूली गलतियाँ' करने के लिए अमानवीय अत्याचार और शारीरिक हिंसा का शिकार होना पड़ा।
Two ISIS Iraqis, Twana HS & Asia RA have been arrested in Germany for r&ping two Yazidi girls aged 12 & 5. They used a broomstick & scolding water as punishments.
— David Atherton (@DaveAtherton20) April 10, 2024
Asia his wife would apply make up & prepare the bedroom while Twana would repeatedly r&pe them.
They were arrested… pic.twitter.com/j0EhduciXb
सज़ा में बड़ी बच्ची को झाड़ू से पीटना और छोटी बच्ची का हाथ गर्म पानी से जलाना शामिल था। यजीदी धर्म को नष्ट करने के लिए इस्लामिक स्टेट (ISIS) की विचारधारा के तहत पीड़ितों को घर का काम करने और इस्लाम अपनाने के लिए भी मजबूर किया गया था। रिपोर्ट के अनुसार, उन्हें पीट-पीटकर इस्लाम कबूल करवाया गया। अब यह बात सामने आई है कि आसिया और ट्वाना एच एस का निकाह इस्लामिक कानून के तहत हुआ था और वे 2015-2017 के बीच आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट से जुड़े थे। सीरिया छोड़ने से पहले, उन्होंने पीड़ितों को अन्य ISIS आतंकवादियों को सौंप दिया। दोनों को अब प्री-ट्रायल हिरासत में रखा जा रहा है।
जर्मनी में इस तरह के कई केस:-
अक्टूबर 2021 में, म्यूनिख की एक अदालत ने एक जर्मन महिला को एक यज़ीदी लड़की के साथ गुलामों जैसा व्यवहार करने, उसे पर्याप्त भोजन और पानी नहीं देने, जिसके परिणामस्वरूप उसकी मृत्यु हो गई, के लिए 14 साल की जेल की सज़ा दी। महिला जेनिफर डब्ल्यू को मानवता के खिलाफ दो गंभीर अपराधों का दोषी पाया गया था। जनवरी 2023 में जर्मनी ने यज़ीदी समुदाय के ख़िलाफ़ अपराधों को नरसंहार के रूप में मान्यता दी। जब इस्लामिक स्टेट (ISIS) ने अपना आतंक फैलाना शुरू किया तो 1000 से अधिक जर्मन मुस्लिम, ISIS में शामिल होने के लिए देश छोड़कर भाग गए।
बता दें कि, यज़ीदी एक जातीय-भाषाई अल्पसंख्यक हैं, जो उत्तरी इराक के आतंक-प्रवण क्षेत्रों सहित मध्य पूर्व में रहते हैं। वे एकेश्वरवादी यज़ीदी धर्म के अनुयायी हैं, जो दुनिया के सबसे पुराने धर्मों में से एक है और ऊपरी मेसोपोटामिया के मूल निवासी हैं। इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (ISIS) के उदय के बाद से यजीदियों को धार्मिक नरसंहार का सामना करना पड़ रहा है। जब अगस्त 2014 में इस्लामी आतंकवादी संगठन ने उत्तरी इराक के सिंजर प्रांत में घुसपैठ की, तो लगभग 50000 यज़ीदियों को अपने घरों से भागने के लिए मजबूर होना पड़ा।
क्षेत्र से कुर्दिश पेशमर्गा बलों की वापसी के बाद उनकी दुर्दशा और भी बदतर हो गई थी। चूँकि यजीदी गैर-मुस्लिम थे, इसलिए इस्लामिक स्टेट उन्हें 'शैतान उपासक' के रूप में देखता था, जिनका धर्म परिवर्तन कर उन्हें गुलाम बना लिया जाना चाहिए। जैसे, बूढ़े और बुजुर्ग यज़ीदी जो भागने में असफल रहे, उन्हें मार डाला गया, जबकि महिलाओं को यौन दासता के लिए मजबूर किया गया। ISIS ने मांग की थी कि अल्पसंख्यक जजिया (एक धार्मिक कर) अदा करें या इस्लाम अपना लें, वरना उन्हें मार दिया जाएगा।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि आतंकवादियों द्वारा बलात्कार की शिकार कई यज़ीदी महिलाओं को आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया गया था। कई युवा लड़कियों को दुल्हन के रूप में बेच दिया गया, और बार-बार बलात्कार किया गया और क्रूर यातना दी गई। इस्लामवादी अक्सर अन्य आतंकवादियों को महिलाओं को बेचने के लिए रक्का के मोसुल में अस्थायी दास बाजार बनाते थे। 2014 में संयुक्त राष्ट्र ने बताया कि लगभग 5000 यज़ीदियों की हत्या कर दी गई जबकि 5000-7000 महिलाओं और बच्चों को पकड़ लिया गया।
अपनी डिजिटल पत्रिका दबिक (Dabiq) में, आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (ISIS) ने अपने कुकृत्यों को उचित ठहराते हुए कहा था कि, "किसी को याद रखना चाहिए कि (गैर-विश्वासियों यानी गैर मुस्लिमों) के परिवारों को गुलाम बनाना और उनकी महिलाओं को रखैल के रूप में लेना शरिया का एक दृढ़ता से स्थापित पहलू है, अगर कोई इससे इनकार करता है या उसका मज़ाक उड़ाता है, तो वह कुरान की आयतों और पैगंबर के कथनों को नकार रहा होगा या उनका मज़ाक उड़ा रहा होगा।''
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