''व्यक्ति अपने नाम से नहीं अपने काम से महान बनता है'' यह बात आप इस आर्टिकल को पढ़कर समझेंगे जरूर...
इंसान को जीवित रहने के लिए तीन चीज़ों की जरूरत होती है रोटी कपड़ा और मकान. एक बार इंसान कपड़े और मकान के बिना रह सकता है लेकिन रोटी के बिना नहीं. पेट भरने के लिए दो वक्त की ना सही लेकिन एक वक्त की रोटी सभी को चाहिए होती है. इस समय कोरोना वायरस का कहर कुछ ऐसा बरस रहा है कि एक वक्त की रोटी के लिए भीं इंसान तरस रहा है. एक-एक निवाले के लिए लोग मोहताज हो गए हैं लेकिन इस बीच कुछ NGO फ़रिश्ते के रूप में सामने आए हैं और गरीबों की मदद के लिए खाने का इंतजाम कर रहे हैं. खैर इन सभी के बीच सबसे बड़ी बात जो है वह तो यह है कि ''यह NGO सेल्फी क्लिक करवाने के लिए नहीं बल्कि अपनी मानवता दिखाने के लिए गरीबों के लिए निवाला दे रहे हैं.'' इन्ही में शामिल है ''Rasoi on Wheels''. आज हम आपको Rasoi on Wheels के बारे में बताने जा रहे हैं जो इस लॉकडाउन के समय में अल्प सुविधा प्राप्त लोगों के लिए किसी फ़रिश्ते से कम नहीं है. इस लॉकडाउन कि स्थिति में हर दिन Rasoi on Wheels उन्हें खाना पहुंचा रहा है जिनके पास खाने के लिए एक निवाला नहीं है और वह भी घर घर जाकर. जब से लॉकडाउन शुरू हुआ है तब से अब तक Rasoi on Wheels ने 720000 लोगों तक खाना पहुंचाया है जो बहुत बड़ी बात है. आइए जानते हैं Rasoi on Wheels के बारे में.
Rasoi on Wheels - यह NGO दिल्ली में है और इसकी शुरुआत आज से 3 साल पहले अतुल कपूर, मनिका बढ़वार और अशीम बढ़वार ने की थी. कभी बहुत छोटी सी आस लिए जन्मा यह NGO आज ऐसी स्थिति में है कि लाखों लोगों के लिए खाना पहुंचा रहा है. यह NGO एक ऐसी स्थति में आगे आया है जब कई लोग सेल्फी के नाम पर 2 रोटी और एक कटोरी सब्जी लेकर लोगों के घर जा रहे हैं. इस लॉकडाउन की स्थिति में यह NGO दिल्ली एनसीआर में हर दिन 18,000 लोगों को 'सेहतमंद पैक्ड फ़ूड' दे रहा है. जिन जगह पर यह पैक्ड फ़ूड दिए जा रहे हैं उनमे अनाथालय, ओल्ड एज होम, AIIMS तक शामिल हैं जिन्हे केवल एक समय का भोजन मिलता है और कभी-कभी वह भी नहीं मिलता.
केवल खाना ही नहीं - इस गंभीर स्थिति में यह NGO केवल खाना ही नहीं बल्कि उसके अलावा लोगों के जरूरत के सामान भी उनके घर पहुंचाने का काम कर रहा है, जिसमे दाल, आटा, चावल, शक्कर, चायपत्ती, नमक, मास्क, साबुन, सेनेटाइजर, टूथपेस्ट यहाँ तक की सेनेटरी पेड्स तक शामिल हैं. इस समय हम सभी को स्थिति की गंभीरता को समझते हुए ऐसी संस्थाओं में डोनेशन देना चाहिए जहाँ ऐसे नेक काम होते हैं. इस संस्था के फोटोज आप यहाँ देख सकते हैं. किस तरह यह संस्था लोगों को बेहतरीन तरह से पैकिंग किये हुए फ़ूड, दाल-चावल, पहुंचाते हैं. अपनी जान जोखिम में डालकर यह हर बस्ती में जाते हैं और भूख से बिलखते लोगों को खाना देते हैं. बीते कल 3 मई को इस NGO ने हलवा बनता जिसके फोटोज और वीडियोस आप देख सकते हैं.
लोगों की उम्मीद- लोगों को खाना खिलाते हुए अब यह NGO लोगों के लिए एक उम्मीद बन चुका है. लोगों को विश्वास है कि कोई नहीं आएगा लेकिन इस NGO के लोग मदद के लिए आगे आएँगे. आप देख सकते हैं किस तरह एक लम्बी लाइन इस NGO के लोगों के आते ही लग जाती है क्योंकि उन्हें पता है कि यह NGO उनके लिए कुछ ना कुछ ख़ास लाया होगा और उनके पेट की भूख को शांत कर देगा. वाकई में इस मुश्किल की घड़ी में इस NGO को हमारा सेल्यूट है जो लोगों के घर-घर जाकर उन्हें खाना दे रहा है. यह नेक काम करने के लिए एक ईमानदार और साफ़ दिल चाहिए जो इस NGO में काम करने वाले लोगों का है.
इस NGO के बारे में हम ज्यादा कुछ तो नहीं लेकिन केवल इतना कह सकते हैं -
'कुछ फ़रिश्ते ऐसे भी हैं दुनिया में जो बेमतलब में मदद किया करते हैं दूसरों के गम को अपना समझकर उसका सम्मान किया करते हैं अपने नाम का निवाला दूसरों को खिलाकर कुछ लोग अपने घर में चैन की सांस लिया करते हैं'
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