हर साल बसंत पंचमी (Basant Panchami) के बाद सप्तमी तिथि को रथ सप्तमी का पर्व मनाया जाता है। जी हाँ और इस पर्व को सूर्य देव के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन ही कश्यप ऋषि और अदिति के संयोग से भगवान सूर्य का जन्म हुआ था। कहते हैं सूर्य देव अपने सात घोड़े वाले रथ पर सवार होकर प्रकट हुए थे और इस वजह से यह दिन रथ सप्तमी (Ratha Saptami) के नाम से जाना जाता है। अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं रथ सप्तमी की व्रत कथा।
ये है व्रत कथा- रथ सप्तमी के दिन की कथा भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र सांब से जुड़ी हुई है। कथा के अनुसार एक बार सांब को अपने शारीरिक बल पर बहुत अभिमान हो गया। सांब कभी भी किसी का भी अपमान कर देता था। एक दिन दुर्वासा ऋषि भगवान श्रीकृष्ण से मिलने आए, तो वो काफी दुर्बल नजर आ रहे थे। सांब ने जैसे ही उसे देखा तो मजाक बनाना शुरू कर दिया। दुर्वासा ऋषि का खूब मजाक बनाया। दुर्वासा ऋषि काफी क्रोधी स्वभाव के थे, तो उन्हें सांब की इस उदंडता पर क्रोध आ गया और उन्होंने उसे कुष्ठ रोगी होने का श्राप दे दिया। इससे परेशान सांब ने जब पिता श्रीकृष्ण से इस पाप का प्रायश्चित पूछा तो उन्होंने सूर्य उपासना करने के लिए कहा।
कहा जाता है कि सांब ने पिता की बात मानकर सूर्य उपासना की, इसके बाद रथ सप्तमी के दिन वो रोगमुक्त हो गया। तब से लोगों के बीच ये मान्यता है कि रथ सप्तमी के दिन सूर्यदेव की आराधना करने से रोग से मुक्ति मिलती है। रथ सप्तमी को सूर्य पूजन के अलावा दान-पुण्य के लिहाज से काफी शुभ माना जाता है। इस दिन सूर्य से जुड़ी चीजें जैसे तांबा, गुड़, लाल वस्त्र आदि दान करना चाहिए। मान्यता है कि इस दिन सूर्य की पूजा व व्रत करने से तमाम बीमारियों से मुक्ति मिलती है। कुंडली में सूर्य की स्थिति प्रबल होती है। इसके अलावा नि:संतान दंपति को संतान की प्राप्ति होती है। कहा जाता है इस व्रत को करने से करियर में आ रहीं बाधाएं दूर होती हैं और व्यक्ति को तरक्की मिलती है।
7 फरवरी को है रथ सप्तमी, यहाँ जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
अंडरवर्ल्ड से डरकर कपिल शर्मा ने अंडरवियर में छिपा लिए थे रुपये, जानिए ये मजेदार किस्सा
डिप्रेशन के शिकार हो गए थे कपिल शर्मा, खुद किया ये हैरतअंगेज खुलासा