नई दिल्ली: देश भर में लागू लॉकडाउन से भारतीय इकॉनमी को करीब 10 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है. रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने यह अनुमान जताया है. क्रिसिल ने भारत के जीडीपी ग्रोथ अनुमान में भी बहुत कटौती की है. क्रिसिल ने भारत की वित्त वर्ष 2020- 21 की आर्थिक वृद्धि के अपने अनुमान को लगभग आधा घटाते हुए 1.8 फीसदी कर दिया है.
एजेंसी ने कहा है कि कोरोना महामारी पर नियंत्रण के लिए लॉकडाउन से इकॉनमी को कुल मिलाकर 10 लाख करोड़ रुपए का नुकसान होने का अनुमान है. प्रति व्यक्ति के हिसाब से औसतन यह नुकसान लगभग 7,000 रुपये तक होगा. न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, क्रिसिल ने कहा है कि सरकारी सहयोग में भारी वृद्धि होनी चाहिए. एजेंसी ने इससे पहले चालू वित्त वर्ष के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में छह फीसद वृद्धि का अनुमान जाहिर किया था, जिसे मार्च अंत में घटाकर 3.5 फीसद और अब 1.8 फीसद पर ला दिया गया है.
आपको बता दें कि तक़रीबन सभी रेटिंग एजेंसियों ने कोरोना के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था के ग्रोथ अनुमान में भारी कटौती की है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने कहा था कि वर्ष 2020 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में ग्रोथ की दर 1.9 फीसदी के लगभग रह सकती है, इसके बाद भी यह दुनिया में सबसे तेज रफ़्तार होगी. असल में कोरोना के कारण दुनिया के अधिकतर देशों की इकॉनमी सिकुड़ जाएगी और इस साल 1930 के महामंदी के बाद की सबसे बड़ी मंदी आ सकती है.
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