आज विजयादशमी का त्योहार है। विजयादशमी यानी बुराई पर अच्छाई की जीत का त्योहार। इस दिन भगवान राम ने रावण का वध कर बुराई का अंत किया था। तभी से इसे विजयादशमी कहा जाने लगा। यहां पर एक बात का उल्लेख करना जरूरी है। रावण का अर्थ है बुराई और राम का अच्छाई। जब राम ने रावण का वध किया, तो सबको पता था कि रावण कौन है? लेकिन अगर आज के परिवेश में अगर हम देंखे, तो हर व्यक्ति के अंदर एक रावण छिपा हुआ है।
जिस तरह की स्थितियां आज हैं, उसमें वह कहावत चरितार्थ होती नजर आ रही है कि मुंह में राम बगल में छुरी। आज अगर हम किसी से मिलें, तो वह बहुत अच्छी बातें करता है, लेकिन उसके मन में क्या चल रहा है, यह हम नहीं समझ पाते। आज हमारी सीताएं कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं, न जाने आए दिन कितने रावणों की लिप्सा भरी निगाहें उनके सतीत्व को छलनी करने के लिए बेकाबू होती हैं। न जाने आज हर दिन कितनी सीताओं का हरण किया जाता है और रावण ने तो सीता को उसकी मर्जी के बिना छुआ नहीं था, लेकिन आज के रावण तो सीता का न केवल अपहरण कर रहे हैं, बल्कि उसकी शीलता को भंग कर उसकी हत्या तक हो रही है।
अंतस में छिपा रावण न केवल सीता के अपहरण तक रुका है, बल्कि आज तो वह हर जगह घूम रहा है। एक—दूसरे से द्वेष के रूप में यह रावण हमारे सामने हैं। परिवार में विघटन के रूप में यह रावण हमारे सामने हैं। घर में पत्नी की मर्यादा का पालन न करने के रूप में आज रावण विद्यमान है। बच्चियों के शील हरण करने वाले बदमाशों के तौर पर यह रावण समाज में मौजूद है और देश के तथाकथित रहनुमाओं की जनता को लूटने की चालों और उनके सज्जन पुरुष के चोले के भीतर एक रावण छिपा हुआ है।
आज जब पूरा देश रावण दहन कर बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व मना रहा है। ऐसे में हम सब अपने अंतस के रावण दहन का संकल्प लें। संकल्प लें कि इस अंतस में बैठे रावण को आज रावण दहन के साथ मार डालेंगे। उन रावणों का अंत करने का संकल्प हैं, जो समाज को खोखला कर रहे हैं, तभी विजयादशमी पर्व मनाना सार्थक होगा और तभी सही मायने में रावण पर राम की जीत मानी जाएगी।
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