नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के एक निदेशक और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे सतीश काशीनाथ मराठे ने कोरोना माहमारी से निपटने के लिए मोदी सरकार के राहत पैकेज पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि तीन महीने का मोरेटोरियम पर्याप्त नहीं है और एनपीए में नरमी को राहत पैकेज में शामिल किया जाना चाहिए था.
उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि, 'राहत पैकेज अच्छी और प्रगतिशील सोच वाला है, किन्तु यह इकॉनमी को उबारने में अग्रिम योद्धाओं के रूप में बैंकों को शामिल करने के मामले में नाकाम रहा है. तीन महीने का मोरेटोरियम काफी नहीं है. एनपीए, प्रोविजनिंग में नरमी आदि राहत पैकेज में शामिल होना चाहिए थी ताकि देश को एक बार फिर तरक्की के रास्ते पर ले जाया सके.' उन्होंने यह भी कहा कि सरकार के राहत पैकेज से मांग बढ़ने की उम्मीद कम है, क्योंकि इसमें सप्लाई साइड पर अधिक बल दिया गया है.
आपको बता दें कि मराठे ने बैंक ऑफ इंडिया (BOI) से अपने बैंकिंग करियर का आगाज़ किया था. वह 2002 से 2006 तक द यूनाइटेड वेस्टर्न बैंक के चेयरमैन एवं सीईओ और इसके पहले 1991 से 2001 तक वे जनकल्याण सहकारी बैंक लिमिटेड के सीईओ पद पर भी रहे. वह सहकारी क्षेत्र में काम करने वाले NGO सहकार भारती के संस्थापक सदस्य हैं. यह असल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से सम्बंधित एक स्वयंसेवी संगठन है.
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