नई दिल्लीः देश की सुप्रीम बैंक यानि भारतीय रिजर्व बैंक कांटिन्जेंसी फंड यानी आपात फंड घट गया है। रिजर्व बैंक यह फंड आकस्मिक संकट से निपटने के लिए रखता है। रिजर्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट 2018-19 के मुताबिक 30 जून, 2019 को आरबीआइ का आपात फंड घटकर 1.96 लाख करोड़ रुपये रह गया है, जबकि 30 जून 2018 को यह 2.32 लाख करोड़ रुपये था। आरबीआइ आकस्मिक संकट से निपटने के लिए कॉन्टिंजेंसी फंड रखता है। सरकार को अतिरिक्त राशि ट्रांसफर करने के बाद यह फंड घटकर छह साल के निचले स्तर पर आ गया है।
आरबीआइ की वार्षिक रिपोर्ट 2018-19 के अनुसारआरबीआइ ने इकोनॉमिक कैपिटल फ्रेमवर्क के संबंध में जालान समिति की सिफारिशों के आधार पर अतिरिक्त रिजर्व सरकार को ट्रांसफर करने का फैसला किया था। वैसे रिजर्व बैंक ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में स्पष्ट कहा है कि 30 जून 2019 की स्थिति के मुताबिक आरबीआइ की मजबूती कायम है।
उल्लेखनीय है कि जालान समिति की सिफारिशें स्वीकारने के बाद आरबीआइ ने सरकार को चालू वित्त वर्ष में पौने दो लाख करोड़ रुपये ट्रांसफर करने का फैसला किया है जिसमें 1.23 लाख करोड़ रुपये डिविडेंड है जबकि 52,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त रिजर्व की राशि है।आरबीआइ ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी ग्रोथ का अनुमान घटाकर 6.9 परसेंट कर दिया है। आरबीआइ ने माना कि इस धीमेपन की असल समस्या का मर्ज ढूंढ़ना मुश्किल है। वैसे आरबीआइ ने निजी निवेश और उपभोग को बढ़ाने के लिए उपाय करने का सुझाव दिया है। 30 जून, 2019 को आरबीआइ का आपात फंड घटकर 1.96 लाख करोड़ रुपये रह गया है, जबकि 30 जून 2018 को यह 2.32 लाख करोड़ रुपये था।
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