नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के मोदी सरकार से संबंधों को लेकर लगातार नए 'खुलासे' हो रहे हैं. RBI के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल के बाद अब पूर्व डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने अपनी एक पुस्तक से नए विवाद को जन्म दे दिया है. उन्होंने कहा कि सरकार, रिजर्व बैंक की स्वायत्तता को कमज़ोर करने के लिए लगातार प्रयास कर रही थी, इसीलिए उर्जित पटेल को वक़्त से पहले पद छोड़ना पड़ा.
उल्लेखनीय है कि उर्जित पटेल की तरह ही विरल आचार्य ने भी सरकार से पटरी न बैठ पाने के कारण वक़्त से पहले अपना पद त्याग दिया था. अपनी किताब 'क्वेस्ट फॉर रीस्टोरिंग फाइनेंशियल स्टेबिलिटी इन इंडिया' में विरल आचार्य ने मोदी सरकार पर कई गंभीर इल्जाम लगाए हैं. उन्होंने कहा है कि सरकार, रिजर्व बैंक की स्वायत्तता को कमजोर करने की फ़िराक़ में थी.
उन्होंने इस किताब में इस संबंध में भी बताया है कि उन्होंने निर्धारित वक़्त से पहले ही अपना पद क्यों छोड़ दिया था. यह किताब उनकी टिप्पणियों, भाषणों और रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति पर किए गए अध्ययन का संग्रह है. उनका कहना है कि जनवरी 2017 से जुलाई 2019 में उनके डिप्टी गवर्नर के पद पर रहने के बीच कई नीतियों के कारण देश का आर्थिक वातावरण पीछे ढकेलने वाला बन गया.
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