नई दिल्ली: उद्योग मंडल CII (भारतीय उद्योग परिसंघ) की राष्ट्रीय परिषद की मीटिंग को संबोधित करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को कहा कि 677 अरब डॉलर के विदेशी मुद्रा भंडार के साथ भारत किसी भी चुनौती का सामना करने और चालू खाते के घाटे के वित्तपोषण को लेकर बेहतर स्थिति में है. विगत तीन वर्षों में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 270 अरब डॉलर बढ़ा है.
दास ने आगे कहा कि ताजा आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी मुद्रा भंडार 622 अरब डॉलर है. इसके साथ ही 55 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा अनुबंध संपत्ति (फॉरवार्ड एसेट) के रूप में है. यह संपत्ति समय-समय पर प्रति माह परिपक्व होगी. उन्होंने आगे कहा कि, ‘‘हमारे पास आज की तिथि में 677 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है. भारत वैश्विक कारणों से पैदा हुए किसी भी प्रभाव से निपटने या चालू खाते के घाटे के वित्तपोषण के लिये बेहतर स्थिति में है.'
मुद्रा भंडार किसी भी अर्थव्यवस्था में स्थिरता और विश्वास देता है. इस सुझाव पर कि मुद्रा भंडार का छोटा सा हिस्सा अर्थव्यवस्था की आवश्यकताओं के वित्तपोषण में उपयोग किया जाना चाहिए, इस पर दास ने कहा कि यह परामर्श उपयुक्त नहीं है. उन्होंने कहा कि, 'अर्थव्यवस्था की विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये मुद्रा भंडार का इस्तेमाल उपयुक्त सुझाव नहीं है, RBI के आकलन के मुताबिक, भारत को ऐसा नहीं करना चाहिए और इसीलिए हम इसके समर्थन में नहीं हैं.' दास ने आगे कहा कि इसका कुछ असर हो सकता है मगर RBI को भारतीय मुद्रा की स्थिरता बनाये रखने का विश्वास है. उन्होंने कहा कि RBI की नीति अत्याधिक उतार-चढ़ाव को रोकने के लिये विदेशी विनिमय बाजार में दखल की है. दास ने यह भी कहा कि भारतीय इकॉनमी बेहतर स्थिति में है और बाह्य मोर्चे पर भी अच्छा कर रही है.
उन्होंने आगे कहा कि, 'हम अनिश्चित दुनिया में रहते हैं और आत्मसंतुष्टि के लिये कोई स्थान नहीं है. हमें सतर्क रहने की आवश्यकता है. हमारी इस पर नजर है.’ RBI गवर्नर बोले कि RBI की क्रूड आयल और जिंसों के भाव पर भी कड़ी नजर है. बढ़ती महंगाई को लेकर गवर्नर दास ने कहा कि यूरोप में जारी क्राइसिस का यह प्रभाव है. उन्होंने बढ़ती महंगाई और घटते ग्रोथ रेट वाली स्थिति (stagflation) को ख़ारिज किया है. उन्होंने कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष के लिए भारत का ग्रोथ रेट 8.9 फीसदी रह सकता है. उन्होंने स्टैगफ्लेशन को पूरी तरह से नकारा है.
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