नई दिल्ली: महंगाई बढ़ने की आशंका से आम जनता के साथ-साथ अब RBI भी चिंतित नज़र आ रही है. दरअसल हाल के दिनों में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में जिस तेजी से वृद्धि हो रही है और इनकी कीमतें रिकार्ड स्तर पर पहुंच चुकी हैं, इससे RBI को महंगाई के मोर्चे पर चिंता सताने लगी है. यदि पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो यह अर्थव्यवस्था में आ रही रफ्तार के असर को कम कर सकती है.
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि पेट्रोल-डीजल महंगा होने से मैन्यूफैक्चरिंग का खर्च बढ़ सकती है. इसका प्रभाव महंगाई पर पड़ सकता है. गुरुवार को एक कार्यक्रम में उन्होंने स्पष्ट कहा कि पेट्रोल और डीजल पर टैक्स की कटौती पर केंद्र और राज्य सरकारों को मिल कर निर्णय लेना होगा. उन्होंने कहा कि दरअसल इस समय राज्य और केंद्र दोनों की आमदनी पर असर पड़ा है. कमाई घटने के कारण न तो राज्य टैक्स कटौती की स्थिति में हैं और न केंद्र में. ऐसे में पेट्रोल-डीजल की महंगाई घटने की उम्मीद नहीं की जा सकती.
बता दें कि हाल में क्रूड ऑइल की कीमतों में इजाफा हुआ है. इससे तेल महंगा हुआ है. साथ ही केंद्र और राज्य दोनों की तरफ से तेल पर लगाई जाने वाली टैक्स की दरें काफी ऊंची है. यही कारण है कि देश के कई शहरों में पेट्रोल की कीमतें 100 रुपये प्रति लीटर को भी पार चुकी हैं. डीजल की कीमत भी 90 रुपये प्रति लीटर के पार पहुँच गई हैं. RBI का लक्ष्य महंगाई को चार से पांच प्रतिशत के दायरे में रखने का है. मगर पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती नहीं की गई, तो खुदरा महंगाई दर बेकाबू हो सकती है. इससे आम आदमी की आमदनी के अलावा आर्थिक विकास दर पर भी नकारात्मक तौर पर असर पड़ेगा.
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