नई दिल्लीः मोदी सरकार में रिजर्व बैंक की कार्यप्रणाली को लेकर काफी सवाल उठते रहे हैं। रिजर्व बैंक के कुछ टॉप अधिकारियों के इस्तीफे के बाद विपक्ष को इस मुद्दे पर सरकार को घेरने का मौका मिल गया। विपक्ष ने सरकार पर आरबीआई की स्वायत्ता खत्म करने का आरोप लगाया है। रिजर्व बैंक पर अब सरकार की कठपुतली के तरह काम करने का आरोप लगा रहा है। विरोधियों के इस हमले का जवाब देते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि आरबीआई किसी के लिए 'चीयरलीडर' नहीं है।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक को सरकार के इशारे पर काम करने वाली संस्था बताने वालों से सवाल किया कि क्या केंद्रीय बैंक को अर्थव्यवस्था को लेकर सरकार को लेक्चर देना चाहिए या भला-बुरा कहते रहना चाहिए। इस मुद्दे पर दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक स्वायत्त संस्थाओं से कहीं बढ़कर है। दास ने कहा कि आरबीआई सरकार से खुलकर बात करती है लेकिन जब फैसला लेने की बारी आती है तो सरकार की ओर से किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं होता।
रिजर्व बैंक के मुखिया ने कहा कि जरिया अलग होने के कारण सभी देशों में सरकार और मॉनेटरी अथॉरिटी के बीच मतभेद होते हैं लेकिन बातचीत के जरिए मतभेद को सुलझाना जरूरी होता है। उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा, ''मैं आपको स्पष्ट कर दूं कि आरबीआई और सरकार के बीच बहुत से मुद्दों पर बातचीत होती है। लेकिन जहां तक आरबीआई द्वारा निर्णय लेने या अंतिम फैसला करने का सवाल है, मैं पूरे विश्वास के साथ कहना चाहता हूं कि निर्णय लेने के मामले में आरबीआई स्वायत्त से भी कहीं बढ़कर है। मेरे द्वारा लिये जाने वाले फैसलों में किसी का हस्तक्षेप नहीं होता। बता दें कि कुछ वक्त पहले रिजर्व बैंक ने सरकार को बड़ी राशि देने का ऐलान किया था। जिसकी काफी आलोचना की गई थी।
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