नईदिल्ली। 8 नवंबर की रात्रि में केंद्र सरकार ने एक बड़ा निर्णय लिया। घोषणा की गई कि अब 500 रूपए और 1000 रूपए के नोट पुराने हो जाऐंगे और ये चलन में नहीं रहेंगे। ऐसे में बैंक्स को आम आदमी के लिए खोल दिया गया। बैंक्स खुलने के बाद लोगों की कतारें लग गईं और लोग नकदी जमा करने, पुराने नोट्स बदलवाने में जुट गए। रिज़र्व बैंक द्वारा समय - समय पर नोटबंदी के नियम में बदलाव किया गया और आम आदमी को कुछ सुविधाऐं दी गईं।
दरअसल उर्जित पटेल भारतीय रिज़र्व बैंक के 24 वें गवर्नर हैं। उर्जित को लेकर कहा जा रहा है कि उन्होंने आरबीआई के उपगवर्नर के तौर पर और आरबीआई गवर्नर का काम संभालने के ही साथ बेहतर काम किया है।
मनमोहन लाए भारत
दरअसल उर्जित पटेल को भारत लाने का प्रयास पूर्व प्रधानमंत्री डाॅ. मनमोहन सिंह ने किया था। उनका मानना था कि उर्जित देश के लिए महत्वपूर्ण आर्थिक सुधारों की योजना ला सकते हैं। ऐसे में उन्हें भारत लाया गया। वे ऐसे समय आरबीआई गवर्नर बने जब कालाधन बड़े पैमाने पर था। मुद्रास्फीति अनियंत्रित थी। उसे काबू में रखने की जवाबदारी थी।
बैंकिंग सेक्टर के सुधार के लिए उन्होंने काफी कार्य किया। इस दौरान वित्तमंत्रालय में 1998 से 2001 तक आर्थिक सलाहकार के तौर पर भी उन्होंने कार्य किया था। दरअसल वे अधिकांश समय विदेश में रहे। वे आईएमएफ से रिज़र्व बैंक में प्रतिनियुक्ति पर रहे। जब वे आईएमएफ से जुड़े रहे तो वे बहामास, म्यांमार, भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका की डेस्क से जुड़े थे।
भारत आने पर वे रिज़र्व बैंक में आए और फिर रिज़र्व बैंक के डिप्टी गवर्नर बने। अब वे आरबीआई गवर्नर हैं। वित्तमंत्रालय में काम का उनका अनुभव अच्छा रहा और उसका एडवांटेज आरबीआई में भी मिला। उर्जित पर आरोप लगते रहे कि वे रिलायंस में महत्वपूर्ण पद पर थे और इसलिए सरकार ने उनकी नीतियों पर काम किया। मगर उन्होंने अपनी आलोचना से बढ़कर काम किया।
वे रिलायंस इंडस्ट्री में कारोबार विकास क्षेत्र के अध्यक्ष थे, आईडीएफसी में वे कार्यकारी निदेशक और प्रबंधकीय समिति के सदस्य थे, एकीकृत ऊर्जा नीति समिति के सदस्य भी वे रहे इतना ही नहीं उन्हें गुजरात राज्य पैट्रोलियम निगम लिमिटेड के निदेशक मंडल के सदस्य के तौर पर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई। इस पद पर रहते हुए उन्होंने बेहतर कार्य किया।
गुजरात की मिट्टी से लगाव
उर्जित यूं तो केन्या में जन्में हैं। उनका जन्म 28 अक्टूबर 1963 को हुआ था। मगर गुजरात से उनका गहरा रिश्ता है। उनका पैतृक गांव गुजरात के खेड़ा में है और यहां के पालना गांव में ही उनके पूर्वजों का निवास स्थान है। उर्जित लेऊवा पटेल हैं और मूल कठलाल के समीप स्थित छीपड़ी के पाटीदार हैं। लंदन स्कूल आॅफ इकोनाॅमिक्स से उन्होंने 1984 में स्नातक किया था। इसके बाद वे आॅक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से एमफिल में उत्तीर्ण हुए।
उन्होंने येल यूनिवर्सिटी से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है। उर्जित पटेल दि बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप में सलाहकार थे। उन्होंने रिफाॅर्म के कई कार्य किए जिसमें पेंशनर्स के लिए अच्छी योजनाऐं लाना, बैंकिंग ऋण में सुधारवादी कदम, विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार के विकास की सलाह, बैंकिंग में कई तरह के बदलाव और सुधारवादी कदमों को अपनाने के लिए कार्य किया।