नई दिल्ली : नोटबंदी के जरिए देश के नकली नोटों की समस्या को खत्म करने के सरकारी दावे पर पानी फिरता नजर आ रहा है, क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने स्वीकार किया है कि नोटबंदी के बाद से बैंकों को मिले नकली नोटों की संख्या का कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है. यह जवाब आरटीआई कार्यकर्ता अनिल वी. गलगली द्वारा मांगी गई जानकारी के संदर्भ में दिया गया.
गौरतलब है कि आरटीआई कार्यकर्ता अनिल वी. गलगली द्वारा आरबीआई से पूछा गया था कि वह आठ नवंबर से 10 दिसंबर 2016 के बीच जब्त किए गए नकली नोटों, बैंकों के नाम, तारीख आदि की जानकारी साझा करे. दाखिल आरटीआई के जवाब में आरबीआई के मुद्रा प्रबंधन विभाग (जाली नोट सतर्कता प्रभाग) ने कहा कि अभी हमारे पास इसका कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है. भारतीय रिजर्व बैंक ने स्पष्ट कहा है कि बैंकों में जमा किये गये 500, 1000 रुपये के चलन से वापस लिये गये नोटों में नकली करेंसी होने का कोई रिकॉर्ड नहीं है.इस बात से नकली नोटों के खिलाफ नोटबंदी को एक हथियार की तरह इस्तेमाल करने के सरकार के दावे खोखले साबित हुए हैं.
इस जवाब से दुखी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल वी. गलगली ने कहा किआरबीआई के जवाब से स्पष्ट है कि सरकार अपने प्रयास में असफल रही है. अब यह प्रधानमंत्री पर है कि वह देश हित में जब्त नोटों की संख्या का ऐलान करें.
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