आज से RBI की मौद्रिक नीति समिति की बैठक आरम्भ हो गई है। रिजर्व बैंक ने 28 सितंबर को मौद्रिक नीति समिति की बैठक को आगे के लिए टाल दिया था। कमिटी में स्वतंत्र मेंबर्स की नियुक्ति में देरी की वजह से बैठक को आगे टालना पड़ा था। किन्तु अब सरकार की ओर से एमपीसी में तीन मेंबर्स की नियुक्ति हो गई है।
वही केंद्रीय बैंक के राज्यपाल शक्तिकांत दास ने सितंबर में कहा था कि आवश्यकता के हिसाब से मौद्रिक नीतियों में परिवर्तन हो सकते हैं तथा ब्याज दरों में भी कटौती की गुंजाइश बनी हुई है। एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा थी कि RBI को इंट्रेस्ट रेट घटाने का सिलसिला जारी रखना चाहिए। यूनियन बैंक के एमडी-सीईओ राजकिरन राय ने कहा, महंगाई के दबाव में रेपो घटाना पॉसिबल नहीं लग रहा है। वहीं ज्यादातर एक्सपर्ट्स का मानना है कि रेपो रेट में कटौती की उम्मीद कम है। बाजार विश्लेषकों का कहना है कि प्रथम तिमाही में जीडीपी रिकॉर्ड निचले स्तर तक जाने के पश्चात् होने वाली यह प्रथम बैठक बहुत अहम मानी जा रही है।
वही अगस्त में हुई एमपीसी की 24वीं बैठक में RBI ने रेपो रेट में कोई परिवर्तन नहीं किया था। यह चार फीसदी पर बरकरार है तथा रिवर्स रेपो रेट को भी 3।35 फीसदी पर स्थिर रखा गया है। यदि इस बैठक में रेपो रेट कम की जाती है, तो कस्टमर को ईएमआई में राहत प्राप्त होगी। साथ ही मंगलवार को रिजर्व बैंक ने जारी वक्तव्य में कहा था कि, 'मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक सात से नौ अक्टूबर 2020 को निर्धारित की गई है।' वही इस दौरान कई अहम फैसले लिए जा सकते है।
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