नई दिल्ली: हर दो महीने में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की मीटिंग होती है। इस बैठक में अर्थव्यवस्था में सुधार पर चर्चा की जाती है और साथ ही ब्याज दरों पर फैसला लिया जाता है। RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास के नेतृत्व में समिति की अगली बैठक चार अगस्त से आरंभ होगी और छह अगस्त को इसके नतीजों का ऐलान किया जाएगा।
वहीं, विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना वायरस की तीसरी लहर और महंगाई बढ़ने की आशंकाओं के बीच केंद्रीय की मौद्रिक नीति समिति की शुक्रवार को घोषित की जाने वाली द्वैमासिक समीक्षा में नीतिगत ब्याज दर को मौजूदा स्तर पर ही बनाए रख सकता है। जून में हुई पिछली मीटिंग में रेपो दर को चार फीसदी पर और रिवर्स रेपो दर को 3.35 फीसदी पर बरक़रार रखा था। उससे पहले अप्रैल में हुई मीटिंग में भी यह स्थिर थी। उल्लेखनीय है कि कोरोना की दूसरी लहर के कारण अप्रैल और मई के दौरान देश के कई हिस्सों में लगाई गई कड़ी पाबंदियों से भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा है। इसलिए यह बैठक बेहद महत्वपूर्ण है।
RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास के नेतृत्व वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति नीतिगत दरों पर निर्णय लेती है। इस संदर्भ में डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार ने कहा कि, RBI, देखो और प्रतीक्षा करो की नीति अपना सकता है। मौद्रिक नीति में संशोधन की सीमित गुंजाइश है। कुछ औद्योगिक देशों में सुधार से जिंसों के ऊंचे दाम और वैश्विक स्तर पर कीमतों में वृद्धि का उत्पादन की लागत पर प्रभाव पड़ सकता है।
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