मुंबई : बैंकों के फंसे कर्ज (एनपीए)के दिनों-दिन खतरनाक स्तर तक पहुँचने से चिंतित रिजर्व बैंक अब खुद बैंकों की रेटिंग करवाएगा. आरबीआई ने कहा है कि एनपीए से निपटने में रेटिंग एजेंसियों की अहम भूमिका होगी. बैंकों से कुछ राशि लेकर बने फंड से रेटिंग एजेंसियों को भुगतान किया जाएगा.
रिजर्व बैंक के एक बयान के अनुसार एनपीए के लिए ओवरसाइट कमेटी का पुनर्गठन होगा. इसमें सदस्यों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी. अभी इस कमेटी में अभी सिर्फ दो सदस्य हैं. आरबीआई के स्वतंत्र निदेशकों की बनने वाली कमेटी एनपीए पर सुझाव देगी. आरबीआई ने सभी बैंकों से बड़े एनपीए की जानकारी मांगी है. बता दें कि सरकार ने एक अधिसूचना के जरिए रिजर्व बैंक के अधिकार बढ़ाए थे.
आपको बता दें कि बैंकों के फंसे कर्ज (एनपीए) दिनों-दिन खतरनाक स्तर की ओर बढ़ता जा रहा है. वर्ष 2016-17 में ग्रॉस एनपीए 7.7 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया. इसमें एसबीआई को छोड़ दें तो बाकी बैंकों का एनपीए 7.11 लाख करोड़ रुपए है, जो एक साल पहले 5.70 लाख करोड़ रुपए था. अर्थात गत वर्ष इसमें 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई. शुद्ध एनपीए में तो 58 फीसदी की वृद्धि हुई है. इससे यह बात स्पष्ट है कि एनपीए कम करने के अभी तक किये गए उपाय हुए अपर्याप्त रहे.
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