रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक्स के समक्ष आने वाले साइबर सिक्योरिटी सकंटों से निपटने के लिए पांच सूत्रीय वाले रणनीतिक दृष्टिकोण 'गार्ड' को सामने रखा है। रिजर्व बैंक ने अपने दस्तावेज 'अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक्स की साइबर सिक्योरिटी के लिए तकनीकी दृष्टिकोण 2020-23' में कहा कि साइबर मामलों तथा हमलों की संख्या, आवृत्ति और प्रभाव हाल के दिनों में कई गुना बढ़ गया है।'
वही ये यूसीबी सहित वित्तीय स्थान के केस में बहुत बढ़े हैं। आरबीआई ने कहा, अत: यह जरुरी हो गया है कि साइबर हमलों से बचाव, उनकी पहचान, प्रतिक्रिया और उनसे निपटने के लिए यूसीबी की साइबर सिक्योरिटी को विस्तृत बनाया जाए। रिजर्व बैंक के पांच स्तंभों वाले रणनीतिक दृष्टिकोण गार्ड में गवर्नेंस ओवरसाइट, यूटाइल टेक्नोलॉजी इन्वेस्टमेंट, उपयुक्त विनियमन और पर्यवेक्षण, मजबूत सहयोग तथा जरुरी आईटी एवं साइबर सिक्योरिटी कौशल विकसित करना सम्मिलित है।
साथ ही आरबीआई ने कहा कि प्रौद्योगिकी दृष्टिकोण दस्तावेज को सभी हितधारकों से विचार मिलने के पश्चात् औपचारिक रूप दिया गया है। इसका लक्ष्य यूसीबी की साइबर सिक्योरिटी की क्षमता को बढ़ाना है। दस्तावेज में सुझाए गए 12 स्पेशल कार्य बिंदुओं में साइबर सिक्योरिटी पर बोर्ड की ज्यादा नजर, आईटी संसाधनों के बेहतर मेनेजमेंट एवं उन्हें सुरक्षित करने में यूसीबी को समर्थ करना, साइबर सिक्योरिटी से जुड़े नियंत्रणों पर ऑफसाइट सुपरवाइजरी मैकेनिज्म फ्रेमवर्क स्थापित करना आदि सम्मिलित है। इसी के साथ कई बदलाव किए जा सकते है, और इन बदलावों के साथ होने वाले अपराधों पर भी नियंत्रण किया जा सकेगा।
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