बीते गुरुवार को रेपो रेट में कोई कटौती नहीं करने के साथ ही आरबीआइ ने यह साफ कर दिया कि महंगाई का तेवर देखते हुए फिलहाल ब्याज दरों में कटौती जारी नहीं रखी जा सकती है। परन्तु इसका मतलब यह नहीं है कि ब्याज दरों में और कटौती की गुंजाइश पूरी तरह से खत्म हो गई है। केंद्रीय बैंक ने वित्त मंत्रालय को सुझाव दिया है कि अगर छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में कटौती कर दी जाए तो बैंकों के लिए कर्ज सस्ता करने की राह खुल सकती है। छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों को वित्त मंत्रालय तय करता है और बीते बार जून में इनमें 10 आधार अंकों (0.10 फीसद) की कटौती की गई थी।
वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार पिछले हफ्ते की मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद आरबीआइ के साथ विमर्श के दौरान छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों को घटाने संबंधी सुझाव आए हैं। वैसे तो हर तीन महीने पर छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों को तय करने का फॉमरूला लागू है। लेकिन जुलाई के बाद इनमें कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। यह पिछली तिमाही के दौरान सरकारी बांड्स पर हुए मुनाफे के आधार पर दिया जाता है। पिछली दो तिमाहियों में सरकारी बांड्स पर प्राप्त ब्याज में कमी आई है। केंद्रीय बैंक का आकलन है कि जून-अगस्त की तिमाही के दौरान सरकार की तरफ से नियंत्रित छोटी बचत स्कीमों पर देय ब्याज दर और सरकारी बांड्स पर प्राप्त ब्याज के बीच 70 से 110 आधार अंकों (0.70 - 1.10 फीसद) का अंतर हो गया है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में उक्त दोनों के बीच यह अंतर 18-62 आधार अंकों का था। आरबीआइ गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति की समीक्षा करते हुए भी इस बात का उल्लेख किया था कि पिछली तिमाही में ब्याज दरों में कटौती की जानी चाहिए थी।
मौद्रिक नीति पेश करने के साथ पेश आरबीआइ की रिपोर्ट में यहां तक कहा गया था कि रेपो रेट में की जाने वाली कटौती का पूरा फायदा आम जनता तक नहीं पहुंच पाने के पीछे एक बड़ी वजह छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज की उच्च दरें हैं। आरबीआइ की गणना कहती है कि छोटी अवधि की योजनाओं की ब्याज दर में 70-110 आधार अंकों की कटौती की जा सकती है| आरबीआइ का कहना है कि इन छोटी बचत योजनाओं पर देय ब्याज की लागत बैंकों को बहुत ज्यादा पड़ती है जिसकी वजह से उनके फंड की लागत बढ़ जाती है। और वह कर्ज को सस्ता नहीं कर पाते। फरवरी-अक्टूबर, 2019 के दौरान आरबीआइ ने रेपो रेट में 135 आधार अंकों की कटौती किया था हालाँकि बैंकों की तरफ से कर्ज की दरों में महज 49 आधार अंकों की ही कटौती की गई है।
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