शरीर में बहुत सी बीमारियों होती हैं लेकिन कुछ बीमारियां ऐसी होती हैं जो इंसान को रोजमर्रा के काम करने से भी रोक लेती है और शरीर को एक तरह से जाम कर देती हैं. लकवा भी एक ऐसी ही बिमारी है जिसमे इंसान के शरीर के कुछ हिस्से एक तरह से सुन्न हो जाते हैं. जब शरीर के किसी भाग में खून सही मात्रा में नहीं पहुंच पता है तो वह अंग सुन्न हो जाता है और इसे ही लकवा कहा जाता है. किसी के पूरे शरीर में लकवा हो जाता है तो किसी के आधे शरीर को लकवा मार जाता है. बहुत से लोगों को सिर्फ मुँह में भी लकवा हो जाता है. ब्लड प्रेशर, शुगर, हृदय रोग जैसी समस्याएं, स्मोंकिग, जंक फूड, ज्यादा तैलीय भोजन करने वालों में लकवा होने का खतरा ज्यादा होता है.
करीब 80 प्रतिशत मामलों में लकवों से बचा जा सकता है। 50 प्रतिशत से ज्यादा लकवे अनियंत्रित रक्तचाप या उच्च रक्तचाप के कारण होते हैं। इसलिए ब्लड प्रेशर का उपचार अत्यंत महत्वपूर्ण है। मरीजों में लकवे के एक या डेढ़ साल के अंदर काफी सुधार आ जाता है। केवल कुछ मरीजों में ज्यादा समय लगता है। इंडोवैस्कुलर एंजियोप्लास्टी की मदद से चीर-फाड़ अथवा सर्जरी के बगैर ही अब मस्तिष्क के स्ट्रोक का इलाज होने लगा है और इस तकनीक की मदद से इलाज के दो घंटे के भीतर मरीज चलने-फिरने में समर्थ हो सकता है।
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