नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कुछ घंटों की बारिश होते ही मुंबई जैसा नजारा दिखने लगता है। दिल्ली में मिंटो ब्रिज से लेकर जखीरा अंडरपास में फंसी गाड़ियां, जलभराव में वाहनों की कतार की तस्वीर आम है। यह केवल इस बार नहीं बल्कि बीते कई वर्षों से हो रहा है। ITO से लेकर धौला कुआं, उत्तम नगर से लेकर जखीरा तक दिल्ली के विभिन्न इलाकों की जो तस्वीरें आती हैं, वह कमोबेश एक जैसी ही होती हैं।
दिल्ली में बहादुर शाह जफर मार्ग, मथुरा रोड, लाला लाजपत राय मार्ग, महिपालपुर रोड और मुनिरका इलाकों सहित कम से कम 45 मुख्य सड़कों पर जलभराव होता है। आखिर क्या कारण है कि प्रति वर्ष बरसात के मौसम में कुछ घंटों की बारिश में ही दिल्ली डूब जाती है। यह प्रश्न तो आपके मन में उठता ही होगा। क्यों सरकार इस समस्या को दूर नहीं कर पा रही है। शहर की डूबने के कारण सीधे तौर पर ड्रेनेज सिस्टम इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी और उसका उचित तरीके से देखभाल का नहीं होना है। गाद या सिल्ट के कारण मौजूदा सीवेज सिस्टम चोक रहता है। दिल्ली के पास बरसाती पानी की निकासी के लिए अलग से कोई सीवर लाइन मौजूद नहीं है। PWD के पूर्व इंजीनियर-इन-चीफ एसके श्रीवास्तव का कहना है कि साउथ दिल्ली की अपस्केल कॉलोनियों समेत शहर का 50 फीसद, सीवर मैनहोल हर बार बारिश में ओवरफ्लो हो जाता है।
राजधानी की सड़कों का दोषपूर्ण डिजाइन भी जलभराव की मुख्य वजहों में शामिल है। दिल्ली की कई मुख्य सड़कों और नालियों में के ढलान में गड़बड़ी हैं। राजधानी में कुछ स्लिप सड़कों को सही तरीके से डिजाइन नहीं किया गया है। इससे जलभराव के बाद बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो जाती है। इसके साथ ही निचले इलाकों में ड्रेनेज सिस्टम खराब होने के कारण सड़कें पर पूरी तरह से पानी भर जाता है। सड़कों पर कचरा फेंकने की प्रवृत्ति से ड्रेनेज सिस्टम का मुंह बंद होने भी जलभराव की वजह है। इसके साथ ही, सफाईकर्मी अक्सर उस ओर कचरा छोड़ देते हैं जो बारिश होने पर नालियों के भीतर बह जाता है।
लंबे समय से लंबित मामलों का भी एक सुनवाई में समाधान हो सकता है : जिला प्रधान सत्र न्यायाधीश
त्रिलोचन सिंह वजीर हत्याकांड को लेकर सामने आया एक और बड़ा सच, अचरज में पड़ी पुलिस