लखनऊ: सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के खिलाफ बड़ी बगावत शुरू हो चुकी है। उनकी पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष महेन्द्र राजभर ने सोमवार (5 सितंबर) को दर्जनों पदाधिकारियों के साथ पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने ओमप्रकाश राजभर पार्टी के मिशन से भटक जाने का इल्जाम लगाया है।
वहीं, महेन्द्र राजभर की बगावत पर प्रतिक्रिया देते हुए सुभासपा नेता अरुण राजभर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सुभासपा एक प्रयोगशाला की तरह है। यहां सीखने के बाद जब लोगों को बड़ी डिग्री लेने की आकांक्षा जागती है, तो इस प्रकार की बातें सामने आती हैं। उन्होंने कहा कि महेन्द्र राजभर बहुत समय से पार्टी में हैं। आज अचानक से क्या हो गया? हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि सुभासपा कार्यकर्ताओं का सम्मान करते है। उन्हें भी मनाने का प्रयास किया जाएगा।
वहीं, मऊ के एक प्लाजा में मीडिया से बात करते हुए महेन्द्र राजभर ने आरोप लगाया कि सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर येन केन प्रकारेण केवल धन बटोरने के चक्कर में लगे रहते हैं। उन्होंने कहा कि 20 वर्ष पूर्व 27 अक्टूबर 2002 को सबकी उपस्थिति में पार्टी की स्थापना की गई थी। उस वक़्त पार्टी का मिशन गरीब, दलित, मजदूर और वंचित समाज का उत्थान रखा गया था, जबकि उसके बाद से कार्यकर्ताओं के खून-पसीने से बनी पार्टी का उपयोग उन्होंने सिर्फ धन बटोरने के लिए किया। उनकी इस राजनीति से आहत होकर प्रदेश महासचिव अर्जुन चौहान, प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ.अवधेश राजभर सहित दर्जनों साथियों सहित सुभासपा की सदस्यता छोड़ने का फैसला लिया है।
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