वैश्विक तापमान (Global Temperature) के अपनी सीमा को लांघने का अनुमान भी लगाया जा चुका है दिन पर दिन बढ़ती जा रही है. मौसम विभाग का कहना है कि अगले 5 वर्षों में दुनिया के तापमान में 1.5 डिग्री से अधिक का इजाफा हो सकता है. इस बात की 50 प्रतिशत आशंका है. कहा जा रहा है कि यह बढ़ोतरी अस्थायी होने वाली है, लेकिन तापमान जिस तरह से बढ़ रहा है उसने शोधार्थियों को चिंता में डाल दिया है. वैज्ञानिकों का इस बारें में बोलना है कि 2022 से 2026 के बीच एक वर्ष ऐसा होगा जब गर्मी अपने सारे रिकॉर्ड तोड़ेगी. जिस तरह से गर्मी पैदा करने वाली गैसें पिछले तीन दशकों से बहुत तेजी से वातावरण में जमा होने लगी है, इस वजह से वैश्विक तापमान वक्त से पहले और एक कदम आगे बढ़ कर अपने तेवर दिखा रहा है.
2015 में विश्व के औसत तापमान में पहली बार पूर्व औद्योगिक स्तर से 1 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि देखने के लिए मिली है. इसे आमतौर पर 19वीं सदी के मध्य के तापमान के तौर पर दर्ज कर लिया जाता है. यह वही वर्ष है जब दुनियाभर के राजनेताओं ने पेरिस में पर्यावरण समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए थे, और वैश्विक तापमान को 2 डिग्री से नीचे रखने की शपथ भी ले ली थी. साथ ही 1.5 डिग्री तक इसे बनाने के प्रयासों पर भी हामी भी भर दी थी . फिर पिछले साल नंवबर में ग्लासगो में हुई COP26 में ही अपने 1.5 डिग्री सेल्सियस वाले वादे को रिपीट कर दिया है.
बीते 7 वर्षों से वैश्विक तापमान 1 डिग्री पर कायम रहा है, 2016 और 2020 में इन सात सालों में सबसे अधिक गर्मी दर्ज भी की जा चुकी है. जिससे समझ आता है कि 1 डिग्री तापमान भी किस तरह से दुनिया को प्रभावित करने का काम कर है है, पिछले साल उत्तर अमेरिका के जंगलो में लगी आग, और इस साल इंडिया, पाकिस्तान में में चलती तेज लपट इसका भयावता को दिखलाती है.
तापमान में बढ़ोतरी अस्थायी रहेगी: ऐसे में वर्ल्ड मौसम संगठन (WMO) के यूके कार्यालय ने बोला है अगले 5 वर्षों में तापमान के 1.5 डिग्री तक जाने की आशंका बहुत अधिक नहीं है लेकिन इससे इंकार नहीं किया जा सकता है. लेकिन यह बढ़ोतरी अस्थायी रहने वाली है.
अध्ययन बताता है कि 2022 से 2026 के बीच में तापमान पूर्व औद्योगिक स्तर से 1.1 डिग्री सेल्सियस और 1.7 के मध्य रहने वाला हैं. मौसम विज्ञानियों का अनुमान है कि इस अवधि में कोई एक वर्ष ऐसा होगा जब तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस को पार कर सकता है और तापमान 48 डिग्री या 50 के करीब तक जा सकता है. खबरों का कहना है कि रिपोर्ट तैयार करने वाले प्रमुख मौसम अधिकारी डॉ लियोन हरमेन्सन का बोलना है कि जो अहम बदलाव देखने को मिल रहा है वह कार्बर डाय ऑक्साइड की वातावरम में धीमी गति से हो रही वृद्धि है.
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