'रिकॉर्ड बदले-सबूत मिटाए..', कोलकाता रेप-मर्डर केस में बंगाल पुलिस पर CBI का बड़ा खुलासा

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कोलकाता: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक जूनियर डॉक्टर के साथ हुए वीभत्स बलात्कार और हत्या के मामले में CBI ने बड़ा खुलासा किया है। केंद्रीय जांच एजेंसी ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में ताला पुलिस थाने के रिकॉर्ड्स के साथ न केवल छेड़छाड़ की गई, बल्कि कुछ झूठे रिकॉर्ड भी तैयार किए गए। जाँच के दौरान पुलिस थाने के कुछ CCTV फुटेज सीबीआई के हाथ लगे, जिन्हें उन्होंने सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैब (CFSL) में भेज दिया है।

CBI ने कहा कि अभिजीत मंडल और संदीप घोष से पूछताछ के बाद ये साफ हुआ कि उन्होंने मामले को गलत दिशा में मोड़ने के लिए झूठी जानकारी रिकॉर्ड में डाली थी। इन दोनों के मोबाइल डेटा भी CFSL को भेजे गए हैं, जिनसे और सबूत मिलने की संभावना है। CBI ने आरोपियों को कोर्ट में पेश किया, जहाँ कोर्ट ने उन्हें फिर से 30 सितंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया। इस मामले में अब तक तीन गिरफ्तारियाँ हो चुकी हैं—संजय रॉय, संदीप घोष और अभिजीत मंडल। पुलिस जांच कर रही है कि कहीं ये तीनों मिलकर अपराध की साजिश में तो शामिल नहीं थे।

घटना 9 अगस्त 2024 को हुई थी, जब आरजी कर मेडिकल कॉलेज की एक जूनियर डॉक्टर की बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी। इस घटना की जानकारी सुबह 10 बजे ताला थाने को दी गई, लेकिन बंगाल पुलिस ने FIR रात के 11:30 बजे दर्ज की। इस घटना के बाद कई डॉक्टर सड़कों पर उतर आए थे और न्याय की मांग की थी। पीड़िता के परिवार ने भी आरोप लगाया कि उन्हें बहुत देर बाद उनकी बेटी से मिलने दिया गया। विवाद बढ़ने पर पुलिस ने संजय रॉय को गिरफ्तार कर लिया, जबकि थाना प्रभारी अभिजीत मंडल और संदीप घोष को बाद में CBI द्वारा पकड़ा गया। अब CBI की जांच में यह स्पष्ट हो रहा है कि सबूतों से छेड़छाड़ की गई थी।

इस गंभीर मामले में यह सवाल उठता है कि आखिर ममता सरकार किसे बचाने की कोशिश कर रही है? एक मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टर का बलात्कार और हत्या हो जाती है, लेकिन बंगाल सरकार पीड़िता को न्याय दिलाने के बजाय सबूत मिटाने में लगी हुई है। जब जांच CBI को सौंपी जाती है, तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुद विरोध मार्च निकालती हैं, जबकि उनकी पुलिस ने सबूतों से छेड़छाड़ की थी और आरोपियों को बचाने की कोशिश की थी।

इस मामले में INDIA गठबंधन के नेताओं की चुप्पी भी सवाल खड़े करती है। क्या यह चुप्पी बंगाल में हो रही आपराधिक घटनाओं का मौन समर्थन नहीं दिखाती? क्या यह देश की राजनीति का निम्नतम स्तर नहीं है, जहाँ न्याय की मांग को दबाने के लिए सत्ता का गलत इस्तेमाल हो रहा है?

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