सेब का रंग लाल होता है, ये बात तो सब जानते हैं . भले ही बाजार में हरे, पीले गुलाबी, नारंगी और इंद्रधनुषी रंग के सेब भी मिलते हों, मगर एक आदर्श सेब लाल रंग का ही होता है.लोग मिसालें भी लाल रंग के सेब की ही देते हैं.मसलन, फलां के गाल तो सेब जैसे लाल हैं.मगर, आज के दौर में सेब का ये लाल रंग खतरे में नजर आ रहा है.और ये खतरा जलवायु परिवर्तन से पैदा हुआ है.आज जो सेब हम दुनिया भर के बाजारों में देखते हैं, उनके पुरखे कभी मध्य एशियाई देश कजाखिस्तान के पहाड़ी इलाकों में उगते थे.कजाखिस्तान की चीन से लगी पहाड़ी सीमा की ढलानों पर ही ये जंगली सेब उगा करते थे.और कभी ये वहां के जंगलों में आबाद भालुओं का पेट भरने के काम आते थे.लेकिन, दुनिया भर में जंगली सेबों की आबादी 90 फीसदी तक घट गई है.अब सेब बागानों में ही ज्यादा उगाए जाते हैं.इनके जीन से छेड़छाड़ कर के नई नई किस्में उगाई जाती हैं.इसीलिए जंगली सेबों का भविष्य खतरे में नजर आ रहा है।
कजाखिस्तान के जंगल में सेब के जो पेड़ खुद से उगते हैं, वो हल्के पीले भी होते हैं और चेरी के रंग के भी.कई बार उनका रंग चटख हरा भी होता है.लेकिन, आम तौर पर जंगली सेब का रंग लाल ही होता है.आज हालत ये है कि कजाखिस्तान में भी अमरीकी रेड डेलीशस और गोल्डेन डेलीशस नस्लों के सेब उगाए जा रहे हैं.सेब का रंग उसके जीन पर निर्भर करता है.ये जीन, सेब के छिलके में पाया जाता है.न्यूज़ीलैंड के वैज्ञानिक डेविड चेग्न कहते हैं कि कई एंजाइम मिल कर किसी सेब का रंग निर्धारित करते हैं.ये वही एंजाइम होते हैं, जो शकरकंद, अंगूर और बेरों का रंग निर्धारित करते हैं।
किसी सेब के एंजाइम का नियंत्रण एक खास किस्म की प्रोटीन तय करता है.वैज्ञानिकों ने इसे MYB10 नाम दिया है.इसकी जितनी मात्रा सेब में होगी, उतना ही उसका रंग लाल होगा.सेब का रंग तापमान पर भी निर्भर करता है.अगर गर्मी ज्यादा होती है, तो सेब का लाल रंग गुम होने लगता है.यानी लाल सेब पैदा करने के लिए मौसम का सर्द होना एक शर्त है.डेविड और उन के साथियों ने देखा था कि एक बार स्पेन में जुलाई का तापमान बहुत गर्म हो गया था, तो सेबों के रंग धूमिल हो गए थे.भले ही आज तरह तरह के सेब बाजार में मिलते हों.मगर, मांग लाल सेब की ही ज्यादा है।इंसानों ने जब से सेबों को बागों में उगाना शुरू किया है, तब से ही सेबों की कई नस्लों को विकसित किया गया है.लेकिन, बाजार में हावी लाल सेब ही हैं.अमरीका के मेन राज्य के पालेर्मो मे रहने वाले जॉन बंकर ने कई गुम हो गई क़िस्मों को बचाया है.इन में से कई सेब आज से एक सदी पहले खूब उगाए जाते थे.इन में ब्लैक ऑक्सफोर्ड नाम का एक सेब तो इतना गहरा लाल होता है कि आप इसे काटे नहीं, तो दूर से ये बेर जैसा नजर आता है.
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