नई दिल्ली. पंजाब में सरकार ने सत्ता सँभालते ही शिकंजा कसते हुए मंत्रियो और अधिकारियो की गाड़ियों से लाल बत्ती हटाने की घोषणा की थी किन्तु राज्य जनता को इससे निजात मिल जाए ऐसा मुमकिन नहीं लगता. एक न्यूज एजेंसी के अनुसार जब पंजाब सचिवालय में एक रीयलटी चेक किया तो पाया की लाल बत्ती हटाने के फ़ैसले के दो दिन बाद मुख्य सचिव करण अवतार सिंह खुद एक लाल बत्ती लगी कार से दफ़्तर पहुचे. यद्यपि सरकार के मंत्रियों और अधिकारियों की ज़्यादातर गाड़ियों से लाल बत्तियां गायब हैं, किन्तु सरकार के एक मंत्री गुरजीत सिंह घोषणा कर चुके हैं कि वह लाल बत्ती लगाना बंद नही करेंगे.
उधर सरकार ने मंत्रियों और बाबुओं की कारों से लाल बत्तियां तो हटाने के आदेश तो जारी कर दिए हैं, किन्तु राज्य के विभिन्न न्यायालयों के जजों की बात इन आदेशों में नही की गई है. जब राज्य के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने इसका फ़ैसला करने का जिम्मा खुद जजों पर ही छोड़ दिया. दूसरी और विपक्ष पंजाब सरकार के लाल-बत्ती हटाने वाले फ़ैसले से इत्तफाक नही रखता.
विपक्ष नेताओं का मानना है की महज लाल बत्ती हटाने से वीआइपी संस्कृति से छुटकारा नही मिलेगा, क्योंकि प्रभाशाली लोगों और उनके परिवार के सदस्यों को वीआइपी सुविधाएं जैसे सुरक्षा, महंगी गाड़ियां या फिर नौकर-चाकर और विशेषाधिकार मिलते रहेंगे.
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