आपने देखा होगा कई बार शरीर पर लाल रंग के चकत्ते पड़ जाते हैं और खुजली होने लगती है. इस रोग को शीतपित्त या आर्टिकेरिया कहते हैं. अगर आप इसको ज्यादा खुजालते हैं तो उतनी ही बढ़ जाती है. आपको बता दें, यह रोग एलर्जी के चलते होता है. हिस्टामीन नाम का विषैला त्वचा में प्रवेश कर जाता है. जिसकी वजह से चकत्ते निकलते हैं और उसमें खुजली होती है. इसके और भी कई कारण होते हैं जिनके बारे में आपको जान लेना चाहिए.
* पेट की गड़बड़ी तथा रक्त में गर्मी बढ़ जाने से शीतपित्त रोग होता है. सामान्य तौर पर अपच, कब्ज, अजीर्ण, ठंडा-गर्म आदि इसके कारण हो सकते हैं.
* लंबे समय तक एलोपैथिक दवाओं का सेवन भी इसका एक कारण बन सकता है. इसके अलावा अधिक क्रोध, भय, चिंता, बर्रे या मधुमक्खी के काटने, स्त्रियों के जरायु रोग, खटमल या किसी कीड़े के काटने से भी शरीर पर चकत्ते पड़ सकते हैं.
* पित्त बढ़ जाने से भी हाथ-पैर, पेट, मुंह, कान, होठ, माथा, गर्दन, जांघ आदि पर लाल चकत्ते या दिदोरे पड़ जाते हैं. खुजलाने पर उसमें जलन व सूजन हो सकती है. बुखार भी हो सकता है.
इसी के साथ आप जान लें कि किस तरह अक्रें इसका उपाय
* इसके लिए दो से चार चम्मच एरंड का तेल दूध में मिलाकर पी लें. इससे पेट साफ़ हो जाएगा. इसके बाद पांच ग्राम छोटी इलायची के दानें तथा दस-दस ग्राम दालचीनी व पीपल पीसकर चूर्ण बना लें और आधा-आधा चम्मच रोज़ सुबह मक्खन या मधु के साथ लें.
* रोगी को गाय के घी में दो चुटकी गेरू मिलाकर खिलाएं या गेरू के पराठे या पुए बनाकर खिलाएं. साथ ही उसके पूरे शरीर में गेरू मलें. इससे जल्दी आराम मिलता है.
* दस-दस ग्राम हल्दी, गेरू, दारूहल्दी, मजीठ, हरड़, बावची, बहेड़ा, आंवला लेकर कूट-पीस कर मिलाकर किसी शीशी में भरकर रख दें. रात को सोते समय एक गिलास पानी में दस ग्राम चूर्ण भिगो दें और सुबह उठकर पानी निथारकर निकाल लें, अब पानी में दो चम्मच मधु घोलकर पी जाएं.
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