नई दिल्ली : देश भर में चल रहे किसान आंदोलन से घबराई राज्य सरकारों द्वारा कर्ज माफ़ी की जो घोषणाएं की जा रही है उसके बारे में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने स्पष्ट कर दिया है कि जो राज्य किसानों की कर्ज माफी का निर्णय ले रहे हैं, उनकी केंद्र सरकार कोई मदद नहीं करेगी. इसके लिए राज्यों को अपने स्रोतों के धन जुटाना होगा. बता दें कि रविवार को महाराष्ट्र सरकार ने किसानों के कर्ज माफ करने की घोषणा की . इसके पूर्व यूपी सरकार भी ऐसा ही कर चुकी है. वहीं मध्य प्रदेश में भी किसान कर्ज माफ़ी की मांग कर रहे हैं.
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय वित्त मंत्री ने सोमवार को सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों के साथ बैठक में एनपीए का पुनरीक्षण किया. इसके बाद प्रेस से कहा कि साइबर सुरक्षा बैंकों के लिए बड़ा मुद्दा है. बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई. जेटली के अनुसार बैंकरप्शी कोड के तहत अब तक 81 मामले दर्ज किए गए हैं. इससे डिफाॅल्ट के मामले हल करने में मदद मिलेगी. जेटली के अनुसार वित्तीय वर्ष 2016-17 के दौरान बैंकों को 574 करोड़ का लाभ हुआ.
बता दें कि रिजर्व बैंक ने हाल में मानिटरी पॉलिसी में किसानों की कर्ज माफी से वित्तीय मोर्चे पर हालात खराब होने की आशंका जताई है. इससे महंगाई बढ़ सकती है.रिजर्व बैंक ने यह भी कहा है कि कर्ज माफी से ऐसे किसान हतोत्साहित होते हैं जो समय पर कर्ज चुकाते हैं. किसानों की कर्ज माफी पर केंद्र का मदद से इंकार करने पर राज्यों को वित्त व्यवस्था करने में पसीना आ जाएगा.
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