नई दिल्ली: कांग्रेस नेता डॉ शमा मोहम्मद ने बुधवार (11 अक्टूबर) को इजराइल पर आतंकवादी हमलों के खिलाफ भारत के रुख को लेकर दुनियाभर के मुस्लिम देशों को भड़काने का प्रयास किया. एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक पोस्ट में उन्होंने इजराइल-हमास युद्ध के बीच अरब देशों को दिखाते हुए मोदी सरकार के खिलाफ भड़ास निकाली। उनका इशारा था कि 'यदि मोदी सरकार ने फिलिस्तीनी मुद्दे के साथ कोई एकजुटता नहीं दिखाई, तो इससे भारत और सऊदी अरब, UAE, ईरान और मिस्र सहित अरब देशों के बीच रिश्ते खराब हो जाएंगे।'
What Hamas did in Israel is highly condemnable. That being said, Arab countries have noticed the silence of the Modi govt on showing any solidarity with the Palestinian cause.
— Dr. Shama Mohamed (@drshamamohd) October 11, 2023
At least 3 diplomats from the Arab countries, including an ambassador, said they were expecting a more…
कांग्रेस नेत्री शमा मोहम्मद ने लिखा कि, 'हमास ने इज़राइल में जो किया वह बेहद निंदनीय है। ऐसा कहा जा रहा है कि, अरब देशों ने फिलिस्तीनी मुद्दे के प्रति एकजुटता दिखाने पर मोदी सरकार की चुप्पी पर ध्यान दिया है। एक राजदूत सहित अरब देशों के कम से कम 3 राजनयिकों ने कहा कि वे भारत से अधिक संतुलित और सूक्ष्म बयान की उम्मीद कर रहे हैं। भारत के सऊदी, UAE, कतर, ईरान और मिस्र के साथ दशकों से बने गहरे संबंध हैं। भाजपा सरकार अब उन्हें अपूरणीय क्षति पहुँचाने का जोखिम उठा रही है।'' कांग्रेस नेत्री शमा मोहम्मद के इस बयान को भारत के खिलाफ मुस्लिम देशों को भड़काने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि भारत ने इजराइल पर हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा कर, उसके प्रति समर्थन व्यक्त किया था। वहीं, कांग्रेस ने अपनी कार्यसमिति (CWC) की बैठक में फिलिस्तीन के समर्थन में प्रस्ताव पारित किया था, जिसमे सबसे पुरानी पार्टी ने इजराइल पर हुए हमले का कोई जिक्र नहीं किया था।
Khalid Mashal the leader and founding member of Hamas gave a speech today asking Muslims all around the world to do the following:⁰⁰1. To show anger, especially next Friday, in Muslim countries and Also among Muslim diaspora around the world; he called it “the Friday of Al-Aqsa… pic.twitter.com/koJ42DRFMy
— Brother Rachid الأخ رشيد (@BrotherRasheed) October 11, 2023
यह भी गौर करने योग्य है कि कांग्रेस नेत्री शमा का बयान ऐसे समय में सामने आया है, जब आतंकी संगठन हमास के नेता ने 13 अक्टूबर को "वैश्विक जिहाद" का आह्वान किया था। हमास के नेता और संस्थापक सदस्य खालिद मशाल ने पूरी दुनिया के मुसलमानों से "वैश्विक जिहाद" शुरू करने का आग्रह किया। उन्होंने इसे "वित्तीय जिहाद" बताते हुए दान भी मांगा, ताकि हमास इजराइल पर हमले जारी रख सके। खालिद मशाल ने उनसे (मुस्लिमों से) इज़राइल और उसके सहयोगियों को एक संदेश भेजने के लिए "अल-अक्सा बाढ़ के शुक्रवार" पर गुस्सा और विरोध व्यक्त करने का आग्रह किया। मशाल ने गाजा पर इजरायल के सैन्य हमले को रोकने के लिए मुस्लिम नेताओं और राष्ट्रों से राजनीतिक दबाव डालने की भी मांग की। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि खालिद मशाल ने मुस्लिमों से शारीरिक जिहाद (युद्ध-हिंसा) में शामिल होने का आह्वान किया, और उनसे लड़ने के लिए तैयार रहने और संभावित रूप से अल-अक्सा के लिए अपनी जान देने के लिए कहा।
हमास को फंडिंग दे रहा कतर ?
ध्यान दें कि शमा ने अपने ट्वीट में 'कतर' का नाम लिया है, जिस पर समय-समय पर संभावित रूप से आतंकी 'हमास' को वित्त पोषण और/या सहायता देने का आरोप है। कतर के विभिन्न चरमपंथी समूहों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के अतीत के कारण इस समर्थन ने चिंताएँ बढ़ा दी हैं। आतंकी संगठन हमास के पूर्व नेता खालिद मीशाल लंबे समय तक कतर में रहे थे और वहां आतंकी संगठनों की तरफ से प्रेस कॉन्फ्रेंस करते थे। मई 2021 में, कतर ने फिलिस्तीन और इज़राइल के बीच बढ़ते तनाव के दौरान हमास-नियंत्रित गाजा पट्टी के पुनर्निर्माण के लिए 500 मिलियन डॉलर देने का वादा किया था, जिससे एक बार फिर हमास और अन्य अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठनों के लिए कतर के वित्तीय समर्थन की ओर ध्यान आकर्षित हुआ था। इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष में कतर की भागीदारी मध्य पूर्व में इसकी व्यापक भूराजनीतिक रणनीति का हिस्सा है।
मिस्र ने इजराइल के साथ सुधारे रिश्ते:-
कांग्रेस नेत्री मोहम्मद शमा ने मिस्र (Egypt) का भी उल्लेख किया, हालाँकि, वह शायद भूल गईं कि मिस्र ने 1980 से एक शांति संधि के तहत इज़राइल के साथ रिश्ते सामान्य कर लिए हैं। क्षेत्र में शांति सुनिश्चित करने के लिए मिस्त्र, कई बार इज़राइल और हमास के बीच मध्यस्थ रहा है। हमास के आतंकी हमले और इजराइल के जवाबी हमले पर प्रतिक्रिया करते हुए, मिस्र ने अधिकतम संयम बरतने और नागरिकों को और अधिक खतरे में डालने से बचने का आह्वान किया। मिस्र को फ़िलहाल फ़िलिस्तीन से शरणार्थियों की आमद का डर है, जो उसकी अर्थव्यवस्था के लिए बेहद बुरा होगा और इसको रोकने के लिए उसने अपनी रफ़ा क्रॉसिंग को बंद कर दिया है।
UAE ने भी नहीं किया इजराइल का विरोध:-
यहाँ तक कि, कांग्रेस नेत्री शमा मोहम्मद ने अपनी पोस्ट में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) का भी नाम लिया है, लेकिन UAE ने भी इजराइल का विरोध करने से परहेज किया है। UAE ने अरब देशों और इज़राइल के बीच शांति और सामान्यीकृत संबंधों के पुनरुद्धार का आह्वान किया है। UAE ने इज़राइल और फिलिस्तीन के बीच हाल ही में बढ़ी हिंसा पर गहरी चिंता व्यक्त की और नागरिकों की सुरक्षा के लिए संघर्ष को तत्काल समाप्त करने का आह्वान किया। UAE ने संघर्ष के सभी पीड़ितों के प्रति संवेदना व्यक्त की है और अंतरराष्ट्रीय चौकड़ी से अरब और इजरायली समुदायों के बीच शांति को बढ़ावा देने की दिशा में काम करने का आग्रह किया है। उन्होंने वैश्विक समुदाय से एक व्यापक और निष्पक्ष शांति समझौता हासिल करने और क्षेत्र में आगे हिंसा और अस्थिरता को रोकने का भी आग्रह किया है।
यही नहीं, UAE ने आतंकी संगठन हमास के हमले को गंभीर घटना मानते हुए इसकी निंदा की है और इजरायली नागरिकों को बंधक बनाए जाने की खबरों पर निराशा व्यक्त की है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के तहत इजरायली और फिलिस्तीनी नागरिकों की सुरक्षा पर जोर दिया। UAE ने गाजा में इजरायल के कार्यों के प्रति सीधी आलोचना से बचते हुए अपनी चिंताओं को व्यक्त करके एक संतुलित दृष्टिकोण बनाए रखा है।
इस तरह से देखा जाए, तो कांग्रेस नेत्री ने जितने देशों का नाम लिया है, उनमे केवल सऊदी अरब और ईरान ही फिलिस्तीन के पक्ष में हैं। लेकिन, यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सऊदी अरब सुन्नी बहुल और ईरान शिया बहुल है, ऐसे में ये दोनों अक्सर एक-दूसरे के साथ आमने-सामने होते रहते हैं, लेकिन भारत तटस्थ रुख बनाना पसंद करता है। हालाँकि, इज़राइल-हमास युद्ध के मामले में मामला जटिल है। जबकि, भारत ने अतीत में फिलिस्तीनी मुद्दे का समर्थन किया है और क्षेत्र में शांति सुनिश्चित करने के लिए दो-राष्ट्र सिद्धांत की वकालत की है, लेकिन इस बार, फिलिस्तीनी मुद्दे पर कोई शब्द नहीं बोला गया है। दरअसल, भारत ने इस बार फिलिस्तीन का नाम न लेते हुए इजराइल में हुए आतंकी हमले की स्पष्ट रूप से निंदा की है।
बता दें कि, फिलिस्तीनी आतंकवादी संगठन हमास ने अचानक हमला करके यहूदी अवकाश पर गए 150 से अधिक सैनिकों, महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों सहित 1,200 से अधिक इजरायलियों की हत्या कर दी। हमास आतंकवादियों द्वारा कई विदेशी नागरिकों की हत्या कर दी गई या उनका अपहरण कर लिया गया। इज़रायली सेना अभी भी शवों की खोज कर रही है, उनमें से कुछ जलकर मर गए थे। जले हुए घर, मृत परिवार और बर्बाद गांव बताते हैं कि हमला कितना भयानक था। ऐसे समय में अरब देशों के कुछ हितों के लिए भारत से फिलिस्तीन का पक्ष लेने की उम्मीद करना भारत का आदर्श नहीं है। दरअसल, इजराइल पर हमले को लेकर भारत की प्रतिक्रिया वैसी ही रही है, जैसी दुनिया के ज्यादातर ताकतवर नेताओं की थी। लेकिन, कांग्रेस नेत्री का भारत सरकार पर अपना स्टैंड बदलने के लिए दबाव डालना और उसके लिए मुस्लिम देशों से रिश्ते बिगड़ने का हवाला देना, ये दर्शाता है कि, आतंकवाद जैसे मानवता के दुश्मन के प्रति कांग्रेस का रवैया कितना नरम है।