नईदिल्ली। उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री शिवप्रताप शुक्ल समेत भारतीय जनता पार्टी के कुछ नेताओं को राहत मिली है। इन नेताओं पर अब पीपीगंज थाने में वर्ष 1995 के तहत दर्ज मामले को लेकर प्रकरण नहीं चलाया जाएगा। इस मामले में सीएम योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री शिवप्रताप शुक्ल, भाजपा खेलकूद प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय सहसंयोजक राकेश सिंह पहलवान, कुंवर नरेंद्र सिंह, समीर कुमार सिंह, विश्वकर्मा द्विवेदी, सहजनवां के वर्तमान विधायक शीतल पांडेय, विभ्राट चन्द कौशिक, भाजपा के वर्तमान क्षेत्रीय अध्यक्ष उपेंद्र दत्त शुक्ल,शम्भू शरण सिंह, भानुप्रताप सिंह, ज्ञान प्रताप शाही, रमापति त्रिपाठी आदि पर प्रकरण चलाया गया था।
अब जानकारी सामने आई है कि सरकार ने इस मामले में प्रकरण को वापस लेने का निर्णय लिया है। इस मामले में राज्यपाल राम नाईक से स्वीकृति मिल गई है। इस मामले में न्यायालय में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया जाएगा। राज्यपाल ने इस मामले में प्रकरण वापस लेने की अपील की। जिसमें शासन के अनुसचिव अरूण कुमार राय ने 20 दिसंबर 2017 को शासन के निर्णय व आदेश की जानकारी डीएम को दी है। इस मामले में लोक अभियोजक, न्यायालय में शासन के निर्णय की जानकारी देने हेतु प्रकरण वापस प्राप्त करने का आवेदन देंगे।
गौरतलब है कि जब इस मामले में प्रकरण दर्ज किया गया तब योगी आदित्यनाथ गोरक्षा पीठ के उत्तराधिकारी थे मगर इसके बाद वे क्षेत्र के सांसद बने और मौजूदा समय में वे राज्य के मुख्यमंत्री हैं। गौरतलब है कि वर्ष 1995 में ब्लाॅक प्रमुख के पद के निर्वाचन थे। जिसमें तत्कालीन समाजवादी पार्टी के विधायक ओम प्रकाश पासवान ने जंगल कौड़ियों के विकास चौबे को प्रत्याशी बनाया।
भारतीय जनता पार्टी की ओर से रामपत यादव को प्रत्याशी निर्वाचित कर दिया गया। इसका समर्थन गोरक्षापीठ के तत्कालीन उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ ने भी किया था। मगर मामले में विवाद हो गया फिर विवाद इतना बढ़ गया कि धारा 144 लागू हो गई। मगर इसके बाद भी क्षेत्र में जनसभा की गई और यात्रा निकाली गई।
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