मुंबईः एक समय़ देश के व्यापार जगत पर राज करने वाली आरकॉम इन दिनों बूरे आर्थिक दौर से गुजर रही है। कंपनी कर्ज के भयानक बोझ तले दबी हुई है। अनिल अंबानी की अगुवाई वाली आरकॉम इससे निपटने के लिए कंपनी को बेचने का मन बना रही है। कंपनी पर करीब 49 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है। रिलायंस कम्युनिकेशंस और उसकी दो यूनिट स्पेक्ट्रम और टावर्स की बिक्री से कर्जदाताओं को 9,000 करोड़ रुपये से 10,000 रुपये मिलने की उम्मीद है। आरकॉम की समाधान प्रक्रिया अक्टूबर के मध्य तक पूरी की जा सकती है।
एक अखबार में छपे खबर के अनुसार एक सूत्र ने कहा कि, शुरुआती वैल्यूएशन से पता चलता है कि अगर इनसॉल्वेंसी प्रोसीडिंग अगले कुछ महीनों में पूरी हो जाती है तो ऐसेट्स से 9,000 करोड़ रुपये से 10,000 करोड़ रुपये मिल सकते हैं।' बैंकों ने 49,000 करोड़ रुपये का कुल क्लेम किया है। श के 22 में से 14 टेलिकॉम सर्कल में 850 MHz बैंड में स्पेक्ट्रम, लगभग 43,000 टेलिकॉम टावर शामिल हैं। बता दें कि इनमें रिलायंस जियो, भारती एयरटेल, ATC टेलिकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर, एसेट केयर ऐंड रिकंस्ट्रक्शन एंटरप्राइज जैसी कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई है।
मार्च 2018 में रिलायंस ग्रुप का कुल कर्ज 1.7 लाख करोड़ रुपये था। रिलायंस कम्यूनिकेशंस के अलावा समूह की चार कंपनियों पर बहुत ज्यादा देनदारी है। इस देनदारी को चुकाने के लिए ही संपत्तियों को बेचा जा रहा है। जिन कंपनियों पर देनदारी है, उनमें रिलायंस कैपटिल पर 38,900 करोड़ रुपये, रिलायंस पावर पर तीन हजार करोड़ रुपये, रिलायंस इंफ्रा पर 17,800 करोड़ रुपये और रिलायंस इंजीनियरिंग पर सात हजार करोड़ रुपये बकाया है। अनिल अंबानी बीते दिनों एक कंपनी से भूगतान संबंधी विवाद के कारण अदालत के चक्कर में भी पड़ चुके हैं।
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