एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) को लेकर सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के बाद देश के टेलीकॉम सेक्टर में भारी उथल-पुथल का माहौल है।इसके अलावा इस आदेश के बाद जहां वोडाफोन आइडिया के फ्यूचर को लेकर अनिश्चितता की स्थिति पैदा हो गई है। इसके साथ ही, बाजार पर नजर रखने वालों का कहना है की शीर्ष न्यायालय के इस फैसले के बाद दूरसंचार कंपनियां अपने टैरिफ में जबरदस्त बढ़ोत्तरी कर सकती हैं। एजीआर भुगतान को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर, 2019 में फैसला सुनाया था। इसके बाद से मोबाइल कंपनियां अपने टैरिफ में पहले ही भारी वृद्धि कर चुकी हैं।
इसके अलावा शीर्ष अदालत ने एजीआर को लेकर 24 अक्टूबर, 2019 को फैसला दिया था। इस निर्णय में उसने टेलीकॉम कंपनियों को समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) का भुगतान करने को कहा था। एजीआर के रूप में टेलीकॉम कंपनियों को सरकार को 1.47 लाख करोड़ रुपये करोड़ रुपये का भुगतान करना है। अकेले Vodafone Idea Ltd (VIL) को 53,038 करोड़ रुपये देना है।इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने बकाया एजीआर के भुगतान में देरी को लेकर शुक्रवार को नाराजगी जाहिर की थी। भारती एयरटेल पर 35,586 करोड़ रुपये की देनदारी है। दूरसंचार विभाग ने इसके बाद दूरसंचार कंपनियों को बकाया एजीआर के भुगतान के लिए शुक्रवार के रात 11:59 बजे तक की समयसीमा तय की थी।
आपकी जानकारी के लिए बता दें की सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद Vodafone Idea का भारत के टेलीकॉम बिजनेस में बना रहना मुश्किल हो गया है।वही इस बारे में बाजार विश्लेषकों का कहना है कि आने वाले समय में संभव है कि भारत के टेलीकॉम मार्केट में दो ही निजी कंपनियों का दबदबा रहे और ऐसी परिस्थितियों में मोबाइल टैरिफ में भारी बढ़ोत्तरी हो सकती है।इसके साथ ही बाजार पर नजर रखने वालों का कहना है कि इस तरह की परिस्थितियों में आने वाले दिनों में मोबाइल टैरिफ में 10-25 फीसद तक की बढ़ोत्तरी हो सकती है। इसका मतलब है कि आने वाले दिनों में मोबाइल टैरिफ आपके पॉकेट का बोझ और बढ़ा सकता है।
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